हरि,ॐ🕉️
जय श्री राम!
कह कपि हृदयँ धीर धरु माता । सुमिरु राम सेवक सुखदाता ॥ उर आनहु रघुपति प्रभुताई । सुनि मम बचन तजहु कदराई ॥
प्रभु श्री हनुमानजी ने भगवती सीता माता को प्रभु श्री रामजी का संदेश सुनाया और प्रभु के विरह में हृदय में धीरज धारण करने को कहा । उन्होंने माता से कहा कि सेवकों को सदैव सुख देने वाले प्रभु का वे निरंतर स्मरण करें और प्रभु की प्रभुता का अपने हृदय में चिंतन करें । ऐसा करने पर उनके मन के नकारात्मक विचार अपने आप खत्म हो जाएंगे । सूत्र यह है कि प्रभु की प्रभुता का विचार करते ही हमें शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है ।
सादर जय जय सीताराम!