1-【पितरों के लिए विशेष होती है बैशाख अमावस्या】
2-(इसी दिन मनाई जाती है शनि जयंती)
3-पितृ दोष निवारण,काल सर्प दोष शांति,व शनि की दशा को शांत करने का विशेष पर्व
4-इसी दिन होगा साल का पहला सूर्यग्रहण
20 अप्रैल दिन गुरुवार को वैशाख अमावस्या है और इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। साथ ही इस अमावस्या को सतुवाई अमावस्या के नाम से जाना जाता है।
वैशाख अमावस्या पर धर्म-कर्म, पितरों का तर्पण, स्नान व दान आदि का विशेष महत्व बताया गया है। दक्षिण भारत में वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती माई जाती है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी माह से त्रेता युग का आरंभ हुआ था। यह अमावस्या कालसर्प दोष, गृह दोष निवारण, पितरों की शांति आदि के लिए लाभकारी मानी गई है। आइए जानते हैं वैशाख अमावस्या का महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
वैशाख अमावस्या का महत्व
वैशाख अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान, दान, जप-तप, पिंडदान, पितरों को तर्पण आदि धार्मिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माना गया है।
इस दिन राहगीरों को पानी पिलाएं और पशु पंक्षियों के लिए भी पानी की व्यवस्था करें। साथ ही इस शुभ दिन पर सत्तू खाने और दान करने का भी महत्व है।
वैशाख अमावस्या पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत अवश्य करना चाहिए। साथ ही इस दिन पितरों के नाम का श्राद्ध और तर्पण करने वालों को आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता और पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।
वैशाख अमावस्या पर आप कालसर्प दोष को दूर करने के लिए भी बेहद उत्तम माना गया है। लेकिन ध्यान रहे कि इस शुभ दिन पर तामसिक चीजों का सेवन करने से दूर रहें।
वैशाख अमावस्या पूजा विधि
वैशाख अमावस्या पर पवित्र नदियां, जलाशय, कुंड आदि पवित्र स्थलों पर स्नान करना चाहिए और सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद बहते जल में तिल प्रवाहित करें।
वैशाख अमावस्या पर पितरों के नाम का तर्पण और श्राद्ध भी करना चाहिए। साथ ही इस दिन उपवास भी रखें और ब्राह्मणों को भोज कराएं।
ग्रहण काल में पितरों के नाम का दान भी करें।
वैशाख अमावस्या पर शनि जयंती भी मनाई जा रही है इसलिए शनिदेव की पूजा करें और एक लोहे की कटोरी में तेल और एक सिक्का डालें और उसमें अपना चेहरा देखें। इसके बाद कटोरी समेत सभी चीजें डकोत को भी दे दें।
वैशाख अमावस्या पर पीपल के पेड़ और हनुमानजी की भी की पूजा करें।
वैशाख अमावस्या पर शनि चालीसा, हनुमान चालीसा, विष्णु सहस्त्रनाम आदि का पाठ करें और मंत्रों का जप करें
वैशाख अमावस्या के मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: ॐ विष्णवे नम:, ॐ पितृ दैवतायै नम:, ॐ पितृ देवाय नम:, ॐ घृणी सूर्याय नमः, ॐ शं शनिश्चराय नम:, ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।
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1-【Baishakh Amavasya is special for ancestors】 2-(Shani Jayanti is celebrated on this day)
3- Special festival for the prevention of ancestral defects, peace of Kaal Sarp Dosh, and pacification of Shani’s condition 4-The first solar eclipse of the year will happen on this day Thursday, April 20, is Vaishakh Amavasya and on this day the first solar eclipse of the year is also taking place. Also this Amavasya is known as Satvai Amavasya.
On Vaishakh Amavasya, the special importance of religious work, sacrifice of ancestors, bath and donation etc. has been told. Shani Jayanti is celebrated on Vaishakh Amavasya in South India and according to religious beliefs, Treta Yuga started from this month. This Amavasya has been considered beneficial for Kalsarp Dosha, home defect prevention, peace of ancestors etc. Let’s know the importance of Vaishakh Amavasya, worship method and auspicious time Significance of Vaishakh Amavasya
Bathing in the holy rivers on Vaishakh Amavasya, charity, chanting, penance, pindadan, offering to ancestors etc. are considered very auspicious for religious works.
On this day give water to passers-by and also arrange water for animals and birds. Also, there is importance of eating sattu and donating it on this auspicious day.
Fasting must be done on Vaishakh Amavasya for the peace of the souls of the ancestors. Along with this, those who perform Shraddha and Tarpan in the name of the ancestors do not face financial crunch and the soul of the ancestors also gets peace.
Vaishakh Amavasya has also been considered very auspicious for removing Kalsarp Dosh. But keep in mind that on this auspicious day, stay away from consuming tamasic things. Vaishakh Amavasya worship method
On Vaishakh Amavasya one should bathe in holy rivers, reservoirs, ponds etc. holy places and after offering Arghya to Sun God, flow mole in the flowing water. On Vaishakh Amavasya, the name of ancestors should be offered and Shradh should also be performed. Also keep fast on this day and offer a feast to Brahmins.
Donate the names of ancestors during the eclipse period. Shani Jayanti is also being celebrated on Vaishakh Amavasya so worship Shani Dev and put oil and a coin in an iron bowl and see your face in it. After this, give all the things including the bowl to the dacoit.
Worship Peepal tree and Hanumanji also on Vaishakh Amavasya.
Recite Shani Chalisa, Hanuman Chalisa, Vishnu Sahastranam etc. on Vaishakh Amavasya and chant mantras Vaishakh Amavasya mantras
Ome Namo Bhagavate Vasudevaaya Namah, Ome Vishnuaya Namah, Ome Pitra Devaaya Namah, Ome Pitra Devaaya Namah, Ome Ghrini Suryaaya Namah, Ome Sham Shanicharaaya Namah, Ome Pram Prim Praum Sa: Shanicharyaya Namah. 🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁