जयश्रीराधेकृष्ण
काजल भगवत प्रेम का नयनो मे लूं डार
कंठ मे भक्ति की माला हो प्रभु सुमिरन का हार
भक्त कदम वहाँ पर पड़े जहाँ प्रभु का द्वार
नयनों को बस आस रही हरि दर्शन की आस.
प्यास लगे जब कंठ को प्रभु जल की हो प्यास
हाथों मे जब भी मिले प्रभु चरणों के फूल
हाथ करे चरणों की सेवा माथे चरणन धूल
कानों मे जब भी पड़े हो सत्संग का सार
प्रीत करूँ प्रभु की भक्ति से ये है सच्चा प्यार
अधरों पर हर पल धरूं प्रभु सुमिरन के बोल
जिह्वा को पल पल मिले हरि अमृत का धोल
आप सभी को भोर की राधे राधे
जय जय श्रीराधेय्य्य