आज के विचार
🙏(“निकुञ्ज” – प्रेम महासागर )🙏
साधकों ! मेरा ये सब लिखने का एक ही उद्देश्य है कि… उस दिव्य निकुञ्ज की कुछ झलक आपको मिल सकें…
हमारे रसिक जन कहते हैं – आनन्द और सुख की सर्वोपरि सीमा है निकुञ्ज…प्रेम का लहराता हुआ महासागर है निकुञ्ज ।
वहाँ भ्रम, तम, गम, विरह, मान, श्रम आदि का लवलेश भी नही है ।
वर्ष, मास, पक्ष, प्रहर, पल अर्थात् काल की समस्त गणनाएं वहाँ व्यर्थ हैं…माया का वहाँ प्रवेश नही है… सत्व रज तम, त्रिगुण की वहाँ गति नही है…उस अत्यन्त गोप्य प्रेम समुद्र की अगाध तंरगों में आपको डूबना है…तो चलिये मेरे साथ ।
आहा ! निकुञ्ज की वो शोभा… प्रेम के भी प्रेम, सुख के भी सुख, रूप के भी रूप, स्नेह के सागर, रस के भी रस… महाउदार युगल सरकार – राजा रानी हैं वहाँ के ।
पर अबोले होकर चलना पड़ता है उस ओर…मौन होकर… ऐसा बनना पड़ता है जैसे हम कुछ नही जानते…
सच बताऊँ तो साधकों ! उस ओर ही परम शान्ति है…सखियाँ भी अपने प्राण प्रियतम की इस केलि को कुञ्ज रंध्रों से निहारती रहती हैं…और अपने नयनों को शीतल करती हैं ।
वो “रंगमहल”…वहाँ कोई शब्द नही पहुँचता… पक्षी भी मौन व्रत धारण करके बैठे रहते हैं…क्यों कि सुरत शय्या पर प्रेम के दो रूप परस्पर अंगों को अंग में, मन को मन में, प्राणों को प्राण में समाने का यत्न कर रहे हैं…प्रेम की अटपटी चाह रूप को पीये जा रही है… फिर भी नेत्र प्यासे के प्यासे हैं…रूप सौन्दर्य बढ़ता जा रहा है जैसे जैसे रात गहरी होती जा रही है…पर उस रूप को पान करने की चाह भी तो चौ गुनी होती जाती है… यह केलि चल रही है…इसका न आदि है न अंत है… यही तो है रसोपासना ।
रसिकों का चरम उपास्य तत्व… यही सर्वोपरि है साधकों !
चलिये अब… चलिये ! निकुञ्ज की ओर ।🙏
🙏प्राणाधार नित्य किशोरी जोरी की – जय हो !
🙏अलक लडैती सुकुमार की – जय हो !
🙏श्रीराधा उर हार स्वरूप श्रीश्याम सुन्दर जु की – जय हो !
सखियों ने जय घोष किया…पूरा निकुञ्ज जयजयकार करने लगा ।
सखियों ! अब युगल के नयनों में नींद भर आयी है…देखो तो प्रिया जु के अंग कैसे शिथिल हो रहे हैं आलस वश…रंगदेवी ने सभी सखियों को सावधान किया… देखो तो ! अलक लड़ैते ये सुकुमार निद्रा के कारण कैसे दबे से जा रहे हैं…अब तो इनको ‘रंगमहल” में शयन कराओ सखियों !
हाँ सही कह रही हो रंगदेवी !
ललिता सखी ने हाथ जोड़कर युगलवर से कहा…अब आप रंगमहल में पधारो… और वहाँ सुखपूर्वक शयन करो ।
ठीक है सखी ! युगल ने एक ही बात दोहराई…
सखियों ने सम्भाला युगल को… और लेकर चल दीं…दिव्य रंगमहल की ओर ।
युगल धीरे धीरे चल रहे हैं…सखियों ने सम्भाला है दोनों को…
नींद में भरकर झूमते हुए चाल की अलग ही शोभा लग रही है युगलवर की… ऐसी अद्भुत शोभा देखकर सखियाँ मुग्ध हो रही हैं…युगल परस्पर कुछ कहना चाहते हैं…पर आलस के कारण मुख में ही वह बात रह जाती है… आँखों में नींद स्पष्ट दिखाई दे रही है…रंगदेवी की ओर प्रिया जु झुक गयी हैं…और ललिता की ओर श्याम सुन्दर झुक गए हैं…इस रूप माधुरी का दर्शन करके गदगद् हैं सब सखियाँ ।🙏
दिव्य रंगमहल है…लाल हरे मणि के खम्भ हैं…उसमें युगल अनन्त रूपों में रूपायित हो रहे हैं…सुन्दर शैया है…युगल को सुख देने वाली कोमल शैया…सखियों ने उस शैया पर विराजमान कराया… मुकुट उतार दिए श्याम सुन्दर के… बस मुकुट के उतारते ही घुँघराले केश मुख मण्डल में फैल गए… क्या छवि लग रही है उस समय की…चन्द्रीका श्रीजी का उतार दिया सखियों ने ।
चरणों को अपनी ओढ़नी से पोंछ दिया… और उस ओढ़नी को अपने नेत्रों से अपने सम्पूर्ण शरीर से लगाकर आनन्दित होती हैं सखियाँ ।
स्नेह रस में पगे प्रिया प्रियतम को अब सुला दिया है सखियों ने…
ऊपर से पीला चादर ओढ़ा दिया था…तब रंगदेवी सखी और ललिता सखी दोनों मिलकर युगल के चरण दबाने लगीं ।
आहा ! कितने सुन्दर लग रहे हैं सोते हुए युगल सरकार… सखी ! देख तो ! कितने थक गए थे… बस शैया में पड़ते ही नींद कैसी गहरी आ गयी है इन्हें…
तभी श्याम सुन्दर नींद में ही मुड़े श्रीजी की ओर… और… अपने हाथों का तकिया बना कर श्रीजी के सिर के नीचे लगा दिया है ।
अपना हृदय श्रीजी के हृदय से लगाकर कितने आनन्दित हो रहे हैं…नींद में भी आनन्द झलक रहा है इनके मुख चन्द्र पर ।
सखी ! देखो पीला चादर कैसे खिसकता जा रहा है…धीरे धीरे… और दोनों युगल एक दूसरे के कितने निकट आते जा रहे हैं।
नींद में विघ्न हो ऐसा जानकर सखियाँ चरण दबाना बन्द कर देती हैं…और चुपके से बाहर की ओर चली जाती हैं ।
और कुञ्ज रन्ध्र से देखती हैं…
क्या सुन्दर झाँकी है युगल की आज… अपने बाहु का तकिया देकर प्यारी को प्यारे कितने गदगद् हो रहे हैं…
ऐसा लग रहा है…जैसे काले बादलों में बिजली चमकती हो…
सखियाँ देखते हुए कहती हैं…ऐसा लग रहा है जैसे काली अंधियारी रात में पूर्ण चन्द्र उग गया हो…ऐसी छवि तो आज तक हमनें न देखी… न सुनी ।
🙏बस अपलक देखती रहती हैं सखियाँ… युगल सो रहे हैं ।🙏
शेष “रस चर्चा” कल –
🚩जय श्रीराधे कृष्णा🚩