आज के विचार
( निकुञ्ज में ब्याहुला…)
हमारे शास्त्र कहते हैं – देह भी अनेक प्रकार के होते हैं…जो हमें इन चर्म चक्षुओं से दिखाई देता है…वो स्थूल देह है…पर जो स्वर्ग नरक का भोग करता है…वो सूक्ष्म देह होता है ।
बौद्ध लोग कहते हैं…निर्माण देह, जैनी लोग कहते हैं…आराहण देह…ऐसे बहुत प्रकार बताये गए हैं…।
हमारी रसोपासना में “भाव देह” की हम चर्चा कर रहे हैं ।
निरन्तर भाव में जब साधक डूबा रहता है…तब उसे इस देह की प्राप्ति होती है…जिसे “भाव देह” कहा जाता है ।
निरन्तर आंतरिक भाव के कारण साधक उसी जगत में ही स्थिर रहने लग जाता है…सतत भावना के कारण चित्त इष्ट के प्रति तदाकार रूप ले लेता है…तब वही “सिद्ध भाव देह” कहलाता है ।
बहुत चमत्कार होते हैं इस भाव के कारण… पर सिद्ध भाव देह धारी इसे चमत्कार मानते नही हैं…उनके लिये ये सहज है ।
मैं कई ऐसे महात्माओं के सम्पर्क में आया हूँ…जो निकुञ्ज में ही रहते हैं…पर स्थूल देह उनका यहाँ है…मात्र देह को चलाने के लिये वो कुछ खा लेते हैं…वो भी दो तीन दिन में एक बार… बाकी समय वो निकुञ्ज में ही सेवा करते हुए…सखीभाव में ही उन्मत्त रहते हैं…उनकी आँखें चढ़ी रहती हैं…वो शून्य में तांकते रहते हैं…कभी हँसते हैं… कभी रोते हैं ।
मैंने गोर्वधन की तलहटी में ऐसे महात्मा के दर्शन किये… “ललिता सखी” उनके सम्पर्क में सदा रहती हैं…ललिता सखी ही उनकी गुरु हैं…मुझे भी उन्हीं ने ललिता सखी जु के बारे में कई बातें बताईं थीं…उन्हीं ने मुझे कहा था बिना ललिता सखी और रंगदेवी सखी जु के निकुञ्ज में प्रवेश सम्भव नही है ।
🙏वो युगल सरकार के प्रति वात्सल्य भाव रखते थे…वैसे वो महात्मा अभी भी हैं…पर वे किसी से मिलते जुलते नही हैं ।
चलिये…भाव से निकुञ्ज की ओर… जहाँ रस ही रस बरस रहा है…ब्याहुला जो है युगल सरकार का ।🙏
🙏अरी सखियों ! क्या है आज… जो इतनी चहल पहल मच रही है निकुञ्ज में ? और हमारो श्रृंगार भी कियो जा रह्यो है… का बात है सखी ?
श्याम सुन्दर ने सखियों से पूछा ।
🙏प्यारे ! आज आपका विवाह महोत्सव है…अब आपके देह में हल्दी चढ़ाई की विधि होगी… और फिर स्नान होयगो…सखी रंगदेवी ने मुस्कुराते हुये कहा ।
🙏अरी सखी ! स्नान तो हो गया…अब फिर स्नान ?
🙏हे प्यारे श्याम सुन्दर ! हल्दी नही चढ़ी है आपके श्रीअंग में अभी तक… वो तो मात्र उबटन लगा कर स्नान भर हुआ है…हल्दी अब चढ़ेगी… सखियों ने हँसते हुए कहा ।
🙏नही सखी ! प्रिया जु को हल्दी चढ़ा दो… और उनको ही स्नान भी करा दो… तो मेरो भी स्नान मान लियो जायगो…
🙏श्याम सुन्दर की विनोद भरी बातें सुनकर सखियाँ हँसी…फिर बोलीं… नही…ऐसे नही…
🙏हल्दी लेकर आईँ सखियाँ… और बड़े प्रेम से हल्दी लगाने लगीं…श्री जी को भी हल्दी लगाई गयी…गोरे कपोल में हल्दी की शोभा अलग ही लग रही थी… श्याम कपोल में हल्दी फब रही थी…सखियाँ आनन्दित हैं…स्नान की विधि फिर पूर्ण हुयी ।
🙏!! बड़ भागिनि बड़ भाग मनावै , “श्री हरिप्रिया” निरख बलि जावैं !!🙏
🙏फिर श्रृंगार हो रहा है…सुरंग रंग के वस्त्र युगल को सखियाँ पहनाती हैं…कमर में सुनहरी जरी से जड़ा हुआ हरे रंग का पटुका श्रीजी को धारण कराया… लाल रंग की पगड़ी श्याम सुन्दर को पहनाई… आहा ! क्या दिव्य शोभा बन गयी है दोनों दूलह दुलहिन सरकार की… जय हो ।
🙏अब श्याम सुन्दर के शाही पाग में सुनहरे रंग का सिरपेंच और छोंगा धारण कराया गया है… पाग के दोनों ओर झूलती हुयी मोतियों की लड़ी लटक रही है…पाग में खिली हुयी कलँगी सखियों ने लगा दी ।
🙏श्रीजी का सोलह श्रृंगार किया…सखियाँ बारबार युगल का दर्शन कर रही हैं और मन्त्रमुग्ध होती जा रही हैं ।
🙏ये दूलह दुलहिन के शाही भेष भूषा में युगल आज अलग ही लग रहे हैं…क्या अनुपम शोभा बन गयी है…समस्त सौन्दर्य मानो इनके रूप के आगे पराजित हो रहा है…रोरी का तिलक, उसपर अक्षत मोतियाँ, इनके रूप को और बढ़ा रहे हैं ।
🙏नख शिख पर्यन्त श्रृंगार सजाने के बाद अब सखियों ने सुनहरी तार में मणि और मोतियों की लटकती लड़ियों का सेहरा लगा दिया है…स्नेह रस से पगे रसिक दम्पति पान खाते हुए श्रीमुख कैसा अद्भुत लाल लाल हो रहा है…
🙏सखी ! देखो तो… दूलह दुलहिन की कैसी अनुपम छटा हो रही है ।
आनन्द विभोर ललिता सखी ने रंगदेवी से कहा ।
🙏अरी ललिता ! क्यों न हो अनुपम छटा… ये तो सौन्दर्य के भी सौन्दर्य हैं…छवियों के भी छवि हैं…आभुषण के भी आभुषण हैं…और तो और… ये एक प्राण दो देहि हैं…दिव्य शोभा बन रही है आज इन दोनों की… सखियाँ आनन्दित हो रही हैं ।
🙏और देख तो सखी ! दोनों मुस्कुराते हुए कैसे सुन्दर लग रहे हैं…ऐसा लग रहा है…जैसे – शोभा के सरोवर में हंस हंसिनी खेल रहे हों…ये छवि तो हमारे मन में बस गयी है…चित्त में – बस आनन्द सिन्धु हिलोरे ले रहा है…
ये कहते हुए सखियों ने मंगल गीत गाने प्रारम्भ किये…
“राधा दुलहिन दूलह लाल !
जैसी रूप माधुरी अंग अंग, ऐसे ही इनके नयन विशाल !!”
🙏नाचते गाते युगल को लेकर सखियाँ ब्याह मण्डप की ओर चली हैं ।🙏
शेष “रस चर्चा” कल –
🚩जय श्रीराधे कृष्णा🚩