मानसी गंगा लीला

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
राधे राधे राधे राधे
सेवा एक बार राधा रानी जी अपनी सखियों के साथ माखन लेकर मानसी गंगा के तट पर आईं। मानसी गंगा में बहुत पानी है। सोचने लगीं कैसे पार करेंगी मानसी गंगा को । तभी कृष्ण नाविक का भेष बदलकर आ गए और बोले नाव से पार करा देता हूँ। गोपियो ने कहा, बहुत भला नाविक है सभी सखियाँ और राधा रानी नाव में बैठ गये। कृष्ण मन ही मन सोचने लगे आज आनन्द आएगा। किया। थोड़ी देर बाद कृष्ण बोले सेवा
कृष्ण ने नाव चलना आरम्भ मुझ भूख लग रही कुछ खिलाओ नहीं तो मैं नाव नहीं चला पाऊँगा,सब डूब जाओगी। सखियों ने अपना सब माखन कृष्ण को दे दिया, कृष्ण सब खा गये। फिर नाव चलना शुरु किया,थोड़ी देर बाद बोले मैं थक गया हूँ,मेरे पैर दबाओ तभी नाव चला पाऊँगा । सखियाँ पैर दबाने लगीं बहुत सेवा की,जब नाव बीच में पहुँची, तो कृष्ण ने नाव जोर से हिला दी। सब डर गयीं,कृष्ण बोले मेरी नाव पुरानी है बजन ज्यादा है, डूब जायेगी,अपनी मटकी मानसी गंगा में फेंक दो जल्दी- जल्दी,गोपियों ने अपनी मटकियाँ मानसी गंगा में डाल दीं। कृष्ण फिर बोले अभी भी नाव हिल रही है,डूब जायेगी,अपने गहने भी फेंक दो,नहीं तो डूब जाओगी।सबने अपने बहुमूल्य गहने भी मानसी गंगा में फेंक दिए।फिर ठाकुर जी ने नाव चलायी।

ललिता जी को उनके वस्त्रों में मुरली दिख गयी,ललिता जी बोलीं अच्छा श्यामसुन्दर है ये नाविक!अभी बताते हैं इस नाविक को।जैसे ही किनारा आया सभी सखियाँ उतार गयीं। सब ने बोला अपनी उतराई तो लेते जाओ नाविक।सबने पकड़ कर श्याम सुंदर को मानसी गंगा में फेक दिया।बहुत हमारे गहने, माखन मटकी,मानसी गंगा में डलवा कर खुश हो रहे थे।अब ये लो उसका प्रसाद..!!
🙏🏽🙏🏿🙏🏾जय जय श्री राधे🙏🙏🏼🙏🏻

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