एक महात्मा जंगल से होकर गुजर रहे थे।
उन्होंने ऐसा एक दृश्य देखा कि
उनका हृदय करुणा से भर गया और
आश्चर्य मिश्रित दुख हुआ।
बात यह थी कि एक तोते को पकड़ने वाले
शिकारी ने दो बांस अलग-अलग गाड़ रखे थे।
एक रस्सी में बांस के ही छोटे-छोटे पोले पिरोकर, रस्सी के दोनों सिरे दोनों बांस में बाँध दिए, और उसमें तोते का प्रिय भोजन लटका दिया।
जंगली तोते भोजन के लोभ से रस्सी पर आकर जैसे ही बैठते, बांस के पोले वजन से घूम जाते और तोते उलटे लटक जाते। घबराहट में गिरने के डर से वो उड़ते भी नहीं। शिकारी आराम से सबको पकड़कर झोले में डाल देता।
महात्मा ने सोचा- कितना आश्चर्य है, ये भूल जाते हैं कि हम उड़ भी सकते हैं। महात्मा ने दयावश शिकारी से पूछा- भैय्या! ये सब तोते कितने में बेचोगे?
तो शिकारी ने जबाब दिया- बाजार जाने का झंझट बचेगा।
आप जो चाहो दे दो।
और महात्मा ने सब तोते खरीद लिए। अपने आश्रम लाकर सबको सिखाना शुरू किया- भाई! कुछ पाठ सीख लो, जिससे समस्त तोते जाति का कल्याण होगा।
पाठ – 1) शिकारी आएगा जाल बिछाएगा।
पाठ – 2) तुम लोभ में मत फंसना।
पाठ – 3) यदि खाने के लिए बैठ भी जाओ तो डरना मत।
तुम्हारे पंख हैं तुम उड़ जाना।
कुछ दिनों में जब सब तोते पाठ सीख गये और अच्छी तरह बोलने लगे, तो महात्मा ने उसी जंगल में सबको छोड़ दिया और निश्चिन्त हो गए कि अब शिकारी की दाल नहीं गलेगी। ये सब तोते एक-दूसरे को शिक्षा देकर मुक्त कर देंगे।
परन्तु महान आश्चर्य, महात्मा कुछ दिनों बाद उसी जंगल से निकले तो क्या देखा, कि सभी तोते उल्टे लटके रट रहे हैं,
शिकारी जाल बिछाएगा, तुम लोभ में मत फंसना, यदि खाने के लिए बैठ भी जाओ तो डरना मत – तुम्हारे पंख हैं तुम उड़ जाना। परन्तु उनमें से कोई भी उड़ नहीं रहा था और सब के सब लटके हैं।
इसी तरह उसी रटे तोते की तरह हम सब भी आपस में शिक्षा दे रहे हैं, कि संसार माया जाल है, इसके लोभ में मत फंसना, तुम ईश्वर अंश हो और ईश्वर तक पहुंच सकते हो।परन्तु आश्चर्य की बात है, कि कोई भी माया के प्रलोभन से बच नहीं पाता, और ईश्वर से
साक्षात्कार नहीं कर पाता है।
जय श्री राधे🙏