सोनी सुघर बुलाय नगर के,
रतन अमोल जडावों…ll
गहरे रंग चुनरी सारी,
छिपन पे जु रंगावों…l
कन्या गोप जिति मों साथिन,
सादर सब पहिरावों…ll
ये सावन मनभावन रानी,
मौकों उबटी नहवावों…l
सब सखियन में सुंदर लागों,
रची सिंगार बनावों…ll
पुंवा करी कीरति मैया,
गुंजा मेवान भरावों,
हरित रांचनी महेंदी सोलह,
तुम मों करन लगावों…l
ये जो तीज त्यौहार अति बड़ों,
सब मन मोद बढ़ावों,
उमड़ स्याम सजल घन गरजन,
गहरी सुनि सचु पावों…ll “