सतावे सावन की फुहार।
रिमझिम-रिमझिम मेघ बरस रहे, राधा करें विचार।
नीम के पेड़ पर झूला पड़ गया, झूल रही हैं नारि। कजरी की ध्वनि गूंज रही है, गया टूट किसी का हार। सतावे…….
शुरू निराई हुई धान में, गीत नारियाँ गाती। अपने घर में आई बेटियाँ, बचपन हुआ साकार। सतावे…….
ब्रज में धूम मची सावन की, आये कई त्योहार। हरियाली धरती पर छाई, किया प्रकृति शृंगार। सतावे…….
गौ माता ने दूध बढ़ा दिया, बनइ विविध पकवान। सुख समृद्धि उतरी भूतल पर, प्रमुदित सब परिवार। सतावे…….
कई वर्ष भये मगर कृष्ण बिन, नहीं कुछ मन को भावे। संकुल विकल राधिका उर पर, पड़ी प्रेम बौछार। सतावे…….
रिमझिम-रिमझिम मेघ बरस रहे, राधा करें विचार। सतावे सावन की फुहार।