आज कदंब की डाली झूले,
श्रीराधा नंदकिशोर


आज कदंब की डाली झूले,
श्रीराधा नंदकिशोर
आहा…….!!
कितना मनोरम दृश्य हैं…

अरे छाई सावन की है बदरिया,
और ठंडी पड़े फुहार,
जब श्यामसुंदर बजाई बांसुरी,
झूलन चली अलबेली सरकार

ओ सावन का महिना, घटाए घनघोर
आज कदंब की डाली झूले,श्रीराधा नंदकिशोर…

प्रेम हिंडोरे बैठे, श्यामसुन्दर बिहा
झुला झुलाये सारी, वृज की नारी…

जोड़ी लागे प्यारी, ज्यू चंदा और चकोर
आज कदंब की डाली झूले,श्रीराधा नंदकिशोर…

ठंडी फुहार पड़े, तन को लुभाये
गीत गावे सखियाँ, और श्याम मुस्काये…

बांसुरियाँ बजावे, मेरे मन का चितचोर
आज कदंब की डाली झूले
श्रीराधा नंदकिशोर…

यमुना के तट पे नाचे, ता था तै था थैया
श्री राधा को झुलाये श्यामसुन्दर रासरचैया…

जग में छाई मस्ती और मस्त हुए मनमोर
आज कदंब की डाली झूले,श्रीराधा नंदकिशोर…

देख युगल छवि, मन में समाई
‘श्यामसुंदर’ ने महिमा गाई

देख के प्यारी जोड़ी मनवा हुए विभोर
आज कदंब की डाली झूले,श्रीराधा नंदकिशोर…

ओ सावन का महिना, घटाए घनघोर
आज कदंब की डाली झूले,श्रीराधा नंदकिशोर…

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