श्री रामाय नमः
देखरावा मातहि निज
अद्भुत रूप अखंड।
रोम रोम प्रति लागे
कोटि कोटि ब्रह्मंड।।
अगनित रबि ससि सिव चतुरानन।
बहु गिरि सरित सिंधु महि कानन।।
काल कर्म गुन ग्यान सुभाऊ।
सोउ देखा जो सुना न काऊ।।
देखी माया सब बिधि गाढ़ी।
अति सभीत जोरें कर ठाढ़ी।।
देखा जीव नचावइ जाही।
देखी भगति जो छोरइ ताही।।
तन पुलकित मुख बचन न आवा।
नयन मूदि चरननि सिरु नावा।।
बिसमयवंत देखि महतारी।
भए बहुरि सिसुरूप खरारी।।
अस्तुति करि न जाइ भय माना।
जगत पिता मैं सुत करि जाना।।
हरि जननी बहुबिधि समुझाई।
यह जनि कतहुं कहसि सुनु माई।।
अर्थ-
भगवान श्रीराम ने फिर माता को
अपना अखंड अद्भुत
रूप दिखलाया, जिसके एक-एक
रोम में करोड़ों ब्रह्माण्ड लगे हुए हैं।
अगणित सूर्य, चन्द्रमा, शिव, ब्रह्मा,
बहुत से पर्वत, नदियां, समुद्र,
पृथ्वी, वन, काल, कर्म, गुण, ज्ञान
और स्वभाव देखे और वे पदार्थ
भी देखे जो कभी सुने भी न थे।
सब प्रकार से बलवती माया को देखा
वह भगवान के सामने अत्यन्त
भयभीत हाथ जोड़े खड़ी है।
जीव को देखा, जिसे वह माया
नचाती है और भक्ति को देखा,
जो उस जीव को माया से छुड़ा देती है।
माता का शरीर पुलकित हो गया,
मुख से वचन नहीं निकलता।
तब आंखें मूंदकर उसने श्री
रामचन्द्रजी के चरणों में सिर नवाया।
माता को आश्चर्यचकित देखकर खर
के शत्रु श्री रामजी बाल रूप हो गए।
माता से स्तुति भी नहीं की जाती।
वह डर गई कि मैंने जगतपिता
परमात्मा को पुत्र करके जाना।
श्री हरि ने माता को बहुत प्रकार से
समझाया और कहा- हे माता
सुनो, यह बात कहीं पर कहना नहीं।
।। जय नारायणावतार भगवान श्रीराम ।।
।। Ome Sri Ramaya Namah ।।
My own wonderful form remains unbroken under my watch.
There are crores of universes per every pore.
Agnit Rabi Sasi Siva Chaturanan.
Sindhu is the great river of water.
Kaal Karma Gun Gyan Subhau.
So what you see, you can’t hear.
See, Maya has thickened everything.
He laughed with all his might.
Saw the creature dancing.
Saw the devotion that ended.
The body was happy and the mouth was full of words.
Nayan Moodi Charnani Siru Nava.
Bisamyawant see Mahtari.
If Bahuri is Sisurup Kharari.
Do not praise or fear.
Go to sleep in the world father.
Hari Janani explained in various ways.
Mother, listen to what this girl says.
Meaning-
Lord Shri Ram then showed his amazing unbroken form to the mother, in each pore of which crores of universes are present.
Saw countless suns, moons, Shiva, Brahma, many mountains, rivers, seas, earth, forests, time, actions, qualities, knowledge and nature and also saw things that were never even heard of.
Saw Maya, powerful in every way, standing (in front of God) very frightened with folded hands. Saw the creature which is made to dance by Maya and (then) saw the devotion which frees the creature (from Maya).
(Mother’s) body became thrilled, words could not come out of her mouth. Then he closed his eyes and bowed his head at the feet of Shri Ramchandraji.
Seeing the mother surprised, Khar’s enemy Shri Ramji again became like a child.
Praise is not even given (to the mother). She was scared that I had known the Father of the Universe as my son.
Shri Hari explained to the mother in many ways and said – O mother! Listen, don’t say this anywhere.
, Jai Narayanavtar Lord Shri Ram.