दिपावली पर मन मन्दिर सजाएंगे। हमारे मन की पवित्रता ही दिपावली है शान्ति ही अयोध्या नगरी है। हमे मन मन्दिर को सजाना है मन मन्दिर में भक्ति का दीपक हो, एक दीपक श्रद्धा का प्रज्वलित कर लेना प्रभु प्राण नाथ के प्रेम से सजा ले रे प्राणी यही तेरे काम आएगा। राम हमारे अन्दर विस्वास को बनाते हैं।
अ राही अपने अन्दर कर्म का दिया जला लेना भगवान राम के अयोध्या आगमन पर घर घर दिपक जलाए अयोध्या के नागरिकों ने रात दिन भगवान राम को याद करते हुए कर्म के दिये को जलाया है वे रात दिन प्रभु राम को दिल में बिठाकर गृहस्थ जीवन की जिम्मेदारी निभाते हुए प्रभु की याद में नेत्र बरसते रहते। तब सत्य का दिया दिल में ऐसा जला भगवान राम ने सबको क्षण मात्र में दर्शन देकर सबको कृतार्थ किया। हमें अपने हृदय में दिया जलाकर रखना है यही सच्ची दिवाली है हम घर को स्वच्छ और सुन्दर सजाते हैं हमे साथ मे मन के कुविचार को मिटाकर के अपने अन्दर शांति स्थापित करनी चाहिए।
दिल की पवित्रता हमारे जीवन को खुशी और आनंद से भर देगी। दिपावली के दिन मिट्टी के दीये हमें सन्देश देते हैं कि मन के अन्दर की बुराई को मिटाकर मन से बङे बनोगे तभी वास्तविक जीवन का आनन्द ले पाओगे। मन की पवित्रता दिल के दीपक को रोशन कर देगी। जैसे दीपक जब तक तेल होता है झपक कर भी रोशनी देता है ऐसे ही हम मेहनत कर के जीवन बनाएंगे वह जीवन अपने आप चमक जाएगा।दीपक सा रोशन ये दिल होगा तभी सत्य की दीपावली है बाहर का दीया दिल में उजाला नहीं भर पाता है।
दिल का दिपक एक बार जल गया तब वह दीपक कभी बुझता नहीं है हमारे अन्दर जितने भी विकार भरे हुए दिल के दीपक में सब विकार जल जाएगे तभी हमारा कल्याण है अ राही तु दिपक अन्दर का जलाने आया है फिर क्यों इधर-उधर भटक रहा है आओ हम सब दिल में शांति और प्रभु प्राण नाथ के प्रेम की दिपावली मनाएं एक भक्त दिल ही दिल में बात करते हुए भगवान से जुङकर कहता मेरे भगवान स्वामी नाथ अराध्य देव श्री हरि जब तक तुम से साक्षात्कार नहीं होता है।
भक्त बाहरी रूप से सबकुछ करते हुए दिल से प्रभु भगवान नाथ से मिलना चाहता है । भक्त तुम्हारे दर्शन का अहसास न हो तब तक क्या ये दिल रोशन हो सकता है। हे हरि आज विरह वेदना उठ रही है सबकुछ करते हुए भी कुछ नहीं कर पाती हू। हे स्वामी तुम्हें निहारना चाहती हूँ तुम मे खो जाना चाहती हूँ। तुम मेरी पुकार को कब सुनोगे मै तुम्हारी राह तकती हूं। आत्मा का स्वामी परमात्मा है। मेरे स्वामी तेरा नाम ही दिपक है तेरे प्रेम की बाती है तेरा नाम ही तेल है।
हे परमात्मा तु ही इस दिल को रोशन कर रहा है। तेरे नाम के दीपक जलते रहे हमे रोशन दिल को करना है जय श्री राम अनीता गर्ग
Will decorate our mind temple on Diwali. Purity of our mind is Diwali, peace is the city of Ayodhya. We have to decorate the temple of the mind. There should be a lamp of devotion in the temple of the mind. Light a lamp of faith. Decorate it with the love of Lord Pran Nath. This will be useful for you, creature. Ram creates faith in us.
Oh Rahi, light the lamp of Karma within yourself. On the arrival of Lord Ram in Ayodhya, lamps are lit in every house. The citizens of Ayodhya have lit the lamp of Karma, remembering Lord Ram day and night. They carry the responsibility of household life by keeping Lord Ram in their heart, day and night. While performing, the eyes kept rolling in the memory of the Lord. Then the lamp of truth lit up in the heart so much that Lord Ram blessed everyone by giving darshan to everyone in just a moment. We have to keep a lamp lit in our heart, this is the true Diwali, we clean and decorate the house beautifully, we should also remove the bad thoughts from the mind and establish peace within ourselves.
Purity of heart will fill our life with happiness and joy. On the day of Diwali, earthen lamps give us the message that you will be able to enjoy real life only if you erase the evil from the mind and become great from the mind. Purity of mind will light the lamp of the heart. Just as a lamp gives light even after blinking as long as there is oil, similarly if we work hard to create a life, that life will shine on its own. This is the Diwali of truth only when the heart becomes illuminated like a lamp. An external lamp cannot fill the heart with light.
Once the lamp of the heart is lit, that lamp never gets extinguished. All the vices filled within us will be burnt only then our welfare will be achieved. O traveler, you have come to light the inner lamp, then why are you wandering here and there? Let us all celebrate Diwali with peace in the heart and love of Lord Pran Nath. A devotee, while talking in his heart, connects with God and says, My God Swami Nath, Aradhya Dev Shri Hari, until I have an interview with you.
The devotee, while doing everything externally, wants to meet Lord Lord Nath from the heart. Devotee, can this heart be illuminated until it realizes your darshan? Hey Hari, today the pain of separation is rising, despite doing everything, I am not able to do anything. O Lord, I want to look at you, I want to get lost in you. When will you listen to my call, I will wait for you. The master of the soul is God. My Lord, your name is the lamp, the wick of your love, your name is the oil.
O God, you are the one who is illuminating this heart. Let the lamps of your name keep burning, we have to enlighten our hearts Jai Shri Ram Anita Garg