परमात्मा सब जानता है…
तन की जाने, मन की जाने
जाने चित, की चोरी !
उस प्रभु से, क्या छुपावे
… रे..नर, मुर्ख !
जिसके हाथ है , सबकी डोरी…!!
एक लघु कथा प्रसंग:
एक बार संत महात्मा जी से किसी ने प्रश्न पूछा गया ;
यह बताएं की 5 छिद्र वाले घड़े में पानी कैसे भरेंगे??
महात्मा जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि… उसे पानी में ही डूबा रहने दो सदा भरा ही रहेगा !
इसी तरह हमारी 5 इन्द्रियों के इस घट को भी भगवान के भजन और सुमिरन में ही लगे रहना चाहिए,, जिससे वो सदा भक्ति भाव से लबालब भरा रहे आनंदित रहे और जीवन मरण के चक्कर से मुक्त होने के लिए जिव्हा निरंतर जपति रहे…!!
हरि शरणम्,,हरि शरणम्,, हरि शरणम्,,हरि शरणम् हरि शरणम्,, हरि शरणम्,, हरि शरणम्,, गुनगुनाता रहें…!!
सुमिरी पवन सुत पावन नामू ..!
अपने वश करि राखे रामू…!!
God knows everything…
loss of body, loss of mind Know the theft! What should I hide from that Lord? …Ray..Nar, fool! Whoever has his hand, has everyone’s rope…!!
A short story context:
Once someone asked a question to Saint Mahatma Ji;
Tell us how to fill water in a pitcher with 5 holes??
Mahatma ji said smilingly that… let it remain immersed in water, it will always be full!
Similarly, this component of our 5 senses should also remain engaged in the praise and remembrance of God, so that it always remains full of devotion, remains happy and the tongue keeps chanting continuously to be free from the cycle of life and death…!!
Hari Sharanam,Hari Sharanam, Hari Sharanam,Hari Sharanam Hari Sharanam, Hari Sharanam, Hari Sharanam, keep singing…!!
Sumiri Pawan Sut Pavan Namu..! Keep it under your control Ramu…!!