हे प्रभु हे देवाधिदेव गजधर्म धारण करने वाले पार्वती वल्लभ हे परमेश्वर हे शंभु आपको बारंबार प्रणाम है प्रणाम हैं ।हे अन्तर्यामी घट घट के वासी।हे सर्वशक्तिमान। हे कल्याणकारी शिव आपको बारम्बार प्रणाम बारम्बार प्रणाम ।
हे प्रभु इस तत्व को समझने में हमारा सामर्थ नहीं आप कौन हैं ? क्या है ?
हे नाथ आपसे हमारी विनती है हे प्रभु सन्सार रुपी सागर के मोह रुपी दल-दल मे फसाँ हूँ। धन सम्पति आदर – सम्मान यश – किर्ति की जै चाहना पैदा होती है प्रभु इनसे बचाओ । हे शिव आप तो प्रत्येक जीव के अन्तःकरण मे विराजमान होकर सब मनोकामनाएं को जानने वाले है हे मेरी भी चाहना पुरी करो। यही प्रार्थना है हमारी।
हे प्रभु हे नाथ इस शरीर की अब आखिर अवस्था में हूँ।
हे नाथ आप से हमारी विनती है मरे प्रभु ये शरीर कीसी के आश्रयती न हो। जब देह का त्याग हो तो मेरे मन में आपका ही चिन्तन मनन ही हो। हे नाथ मुझ पर कृपा करना।
हे प्रभु आपको बारम्बार प्रणाम है बारम्बार प्रणाम है ,बारम्बार प्रणाम है ।।
हे शिव शंभु आपको बारंबार प्रणाम है
- Tags: आपको बारंबार, प्रणाम है, हे शिव शम्भु
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