हमारे जीवन में त्योहारों का महत्व

भारत में त्योहारों का महत्व भारतीय त्योहारों की सुंदरता हमारे जीवन को हर्ष और उल्लास से भरते हैं। पर्व हमारे जीवन को उत्साह आनंद से तो भरते ही है साथ मे हर व्यक्ति के भीतर सकरात्मक विचार बनाते  हैं।हम त्योहारो के समय अनेक कार्य बहुत जल्दी से कर देते  हैं।उस समय हमारे भीतर ऊर्जा शक्ति कार्य करती है त्योहारो पर हमारे मन मे खुशी की लहर दौड़ जाती है घरो में सजावट करते हुए घर तो साफ करते ही हैं। हमारे मन का मैल भी निकल जाता है।एक नई ऊर्जा शक्ति का संचार रोम रोम में बनने लगता है। हम भगवान राम कृष्ण का कार्य करते हुए ध्यान धरते है। भगवान का चिन्तन कर रहे हैं भगवान के लिए सब कुछ करते हुए हम सब जागृत हो जाते हैं। पकवान बनाते हैं मन खुशी से भर जाता है।

माताऔ बहनो का प्रातः जल्दी उठ कर पुजा पाठ करना कथा करना हमे भक्ति के मार्ग पर ले आता है। हम अनजाने में पांचों तत्व की पुजा करते करते ध्यान मार्ग मे प्रविष्ट हो जाते हैं। बच्चे खुशी से झुम उठते हैं।
घर के प्रत्येक सदस्य की खुशियाँ और अपनेपन में मन की सभी समस्याओं को भुल जाते हैं। व्रत और त्योहारो से हमारे भीतर अदभुत कार्य करने की क्षमता पैदा होती है। त्योहारो से हमे कर्म और कर्तव्य करने की प्रेरणा मिलती है।  कर्तव्य और कर्म हर व्यक्ति मे responsibility बनाते हैं जीवन खुशियों से भरा हुआ दिखाई देता है।  जीवन में छाई नीरसता की चादर छीटक जाती है। जैसे नवीनीकरण हो गया हो।

माताओं का मन घर परिवार मे लगा रहता है आज का युवा वर्ग कहता है कि इन रोज के दीपक जलाने पाठ करने हर रोज़ हलवा खिर पुरी में क्या रखा है।  जीवन की सार्थकता मन के भरे हुए मे है। होटल का भोजन एक समय के पश्चात् मन को निरसता और खालीपन देता है
क्यों कि मन को भोजन नहीं भरता है कर्म मन में भरापन लेकर आता है
ये सब हमारे मन को भर कर रखते हैं।
दीपक हमारे चक्करों की गति को ठीक करता है मस्तक का तिलक हमारी ऊर्जा शक्ति को संचालित करता है आज्ञा चक्र को जागृत करता है हमे आत्म शाति प्राप्त होती है 

व्रत और त्योहार हमारे भीतर की जङता को खत्म करते है। हम कुछ दिन पहले से प्लानिंग करते हैं। हमारे भीतर  विचार शक्ति चार्ज होती है। जीवन में नयापन के साथ परिवार के आपसी सम्बन्ध मजबूत होते हैं। बच्चे खुशी-खुशी कार्य करना सिख जाते हैं

भारत में शिवरात्री रक्षा बंधन, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी , छट पुजा, पोंगल नवरात्रे, दिपावली, होली, प्रमुख त्योहार हमारी अध्यात्मिक चेतना को जागृत करते हैं। हम हर समय उत्साहित रहते हैं। हर फेस्टिवल को सब मिल जुलकर मनाते हैं तब आपसी मतभेदो को भुलाकर प्रेम सद्भावना और खुशी को प्राप्त हैं।   त्योहारों में हमारी संस्कृति धर्म भक्तिछिपी हुई है।
किसी भी उत्सव के आने का इंतजार करते हैं। तब हम इंतजार ही नहीं करते हमारे भीतर उच्च विचार शैली कार्य करती है।मन प्रफुल्लित होता है। हम कई दिन पहले विचार बनाते हैं। मन की विचार शक्ति शुद्ध और निर्मल होती है हम सकरात्मक हो जाते हैं हमारे अन्तर्मन का अध्यात्मिक विकास होता है।
त्योहारों पर व्रत पुजा पाठ के समय हम अधिक प्रफुल्लित होते हैं। दिल में उमंग जग जाती है। ऎसा क्यों होता है ऎसा इसलिए होता है। क्योंकि हम कइ दिन पहले यह सोचने लगते हैं कि  अब त्योहार की तैयारी करनी है। हम यह करेगे अब दिवाली आ गयी। मुझे आज ये ये काम करने है। आज मार्केट से मुझे ये सब समान खरीद कर लाना है। ये सब विचार हमारी सोच में आ जाते हैं। ये सब सनटंस हमारे अंदर पॉजीटिव थिंकिंग को बनाते है। मन को कार्य के मिलते ही हम जग जाते हैं हमारे भीतर चल चित्र बनने लगते हैं। पॉजीटिव थिंकिंग हमारे अंदर उत्साह उमंग और आनन्द भरते है।
माताओं और बहने मंगल कामना की प्रार्थना करती है ब्रह्मा विष्णु शिव देवी देवताओं की पूजा करते और भगवान कृष्ण भगवान राम और की पूजा करते करते भक्ति अध्यात्मिक चेतना की जागृति होती है। हर समय उनके हृदय में खुशी बनी रहती है। खुशी और प्रेम  हमारे शरीर में टोनिक का कार्य करते हैं। हम स्वस्थ और मजबूत बनते हैं। त्योहार हमारे भीतर सहनशीलता श्रद्धा विश्वास को बनाये रखते हैं। त्योहारों पर शिश नवाने चरण स्पर्श प्रणाम करने से हमारे भीतर से अंहकार नष्ट करके शान्ति और प्रेम के मार्ग पर चल देते है। प्रत्येक कथा हमे नई प्ररेणा और शिक्षा देती है चलते रहना ही जीवन है।

जय श्री राम अनीता गर्ग

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