दीनबंधु कृपासिंधु कृपा बिंदु दो प्रभो

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दीनबंधु कृपासिंधु कृपा बिंदु दो प्रभो।
उस कृपा की  बूंद से फिर बुद्धि ऐसी हो प्रभो।
वृत्तियां दूत गामिनी हो, जा सम्मावे नाथ में।
नद नदी जैसे  समाते, है सभी  जल नाथ में।

दीनबंधु कृपासिंधु कृपा बिंदु दो प्रभो
जिस तरफ़ देखूं उधर ही दर्श हो श्री राम का।
आंख भी मुंदु तो दिखे  मुख कमल घनश्याम का।

दीनबंधु कृपासिंधु कृपा बिंदु दो प्रभो
आप में मैं आ मिलु ।प्रभु यह मुझे वरदान दो।
मिलती तरंग समुंद्र में जैसे मुझे भी स्थान दो।
छूट जावे दुख सारे अक्षुदर्, सीमा दूर हो।


दैवत  की दुविधा मिटे आनंद में भरपूर हो।
आनंद सीमा रहित हो, आनंद पूर्णा आनंद, 
आनंद सत्यानंद हो, आनंद  चितान्नद हो।


आनंद का आनंद हो, आनंद में आनंद हो, आनंद ही आनंद हो। दीनबंधु कृपासिंधु कृपा बिंदु दो प्रभो। जय श्री राम अनीता गर्ग

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