भोले बाबा वरदानी

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भोले बाबा वरदानी भक्तो को भुलाते है,
अपने भोले भक्तो की बिगड़ियाँ बनाते है,

सोहे ललाट चंदा बेहती है जटा से गंगा,
मीठी मीठी गंग धारा भक्तो को पिलाते है,

जाते लाखो कावड़ियाँ बोल बम का जपते नारा,
पार करते सब की नइयाँ बिछडो को मिलाते है,
भोले बाबा वरदानी भक्तो को भुलाते है

रावण शर हुआ नाम कहते जिसको बाबा था,
मुझे याद आ रही हैं देवघर की वो कहानी,
भक्तो के मुख से सुनी हैं मैं शिव कहानी,
कैसे विराजे बाबा देवघर में भोले दानी,
करते कल्याण सब का जग के वो अंतर् यामी,
एक भक्त शिव का रावण करते घड़ी तपस्या.
कहने लगा भोले से अपनी सारी समाया,
कैलाश पर्वत पे आना पड़ता हैं मुझको,
बाबा चलो मेरे संग पूजा करू मैं तुझको,
अपने भक्त रावण की सुन कर के बात सारी,
परसन हो शिव भोले इक शर्त हैं हमारी,
अमत लिंग की सथल में चलु गा तेरे संग में,
लेकर के सीधे चलना ये सोच ले तू मन में,
घमंड में रावण ने बिन सोचे हां कर दीना,
चल दिये भोले बाबा शिव भोले त्रिपुरारी,
कुछ दूर जब आये घनघोर इक जंगल था,
रावण नजर घुमा के बैठे भगत को देखा,
भुला के पास बोला थोड़ा इसे पकड़ न,
करनी हैं लघु शंका  इसे धरती पर मत रखना,
आया नजर नहीं रावण कुछ देर तक वो देखा,
फिर बेज कुंवारे ने धरती पे शिव को रखा
फिर चल दिये वहा से जब लौट रावण आया,
देखा ज़मीन पे शिव को वो क्रोध से झुंझलाया,
कोशिश किया वो शिव लिंग को उठा दू अपने भोले बाबा को लंका में मैं वसा लू ,
लेकिन धमंडी रावण उठा नहीं जब पाया,
अपने भुजा की ताकत शिव लिंग पे आजमाया,
अपने वो पल पल से आजमाने लगे शिव को क्रोधित हो के रावण दबा दिया शिव लिंग को,
तब बाबा भोले दानी प्रगट हुये शिव लिंग से प्र्शन हो के बोले अपने भक्त रावण से,
रहु गा असपित मैं जाउगा यहाँ से जाने गई सारी दुनिया रावण तेरे ही नाम से,
रावणेश्वर हुआ नाम कहते जिसको बाबा था,
चित्र अविनाश को हर साल देवघर भुलाते हैं

Bhole Baba forgets the blessed devotees,
He makes his innocent devotees bad.

Sohe frontal donation is flowing from the jata to the Ganges,
The sweet sweet Ganges stream feeds the devotees,

Going to chant the slogan of Lakho Kawadis Bol Bam,
Everyone’s new ones cross, join the lost ones,
Bhole Baba forgets the devotees

Ravan would say the name to whom Baba was.
I am missing that story of Deoghar,
I have heard the story of Shiva from the mouth of the devotees,
How to sit in Baba Deoghar, the innocent donor,
Doing the welfare of all those inner worlds of the world,
A devotee of Shiva doing penance while performing Ravana.
Started saying naively,
I have to come to Mount Kailash,
Baba, let me worship you with me,
After listening to his devotee Ravana, he talked about everything.
Personally, Shiva is innocent, this is our condition,
In the place of Amat Linga, I will go with you,
Take it and walk straight, think this in your mind,
In pride, Ravana said yes without thinking.
Let’s go Bhole Baba Shiv Bhole Tripurari,
When I came some distance away, there was a dense forest,
Ravana turned his gaze and saw the Bhagat sitting,
Said to Bhula, don’t hold it a little,
Have a small doubt, don’t keep it on the earth,
Didn’t see Ravana, he saw it for a while.
Then the beige bachelor placed Shiva on the earth
Then left from there when Ravana came back,
Seeing Shiva on the ground annoyed him with anger,
Tried to lift the Shiva linga, I should fatten my innocent baba in Lanka,
But when Dhamdi Ravana could not get up,
Tried the strength of his arm on the Shiva Linga,
He started trying from moment to moment when Shiva got angry and Ravana suppressed Shiva Linga.
Then Baba, the innocent benevolent appeared, asked about the Shiva Linga and said to his devotee Ravana,
Rahu ga aspit, I will go away from here the whole world is known by your name Ravana,
Ravaneshwar became the name of the one whom Baba was.
Chitra makes Avinash forget Deoghar every year

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