एक चोर चोरी के इरादे से खिड़की की राह, एक घर में घुस रहा था।
खिड़की की चौखट के टूटने से वह जमीन पर गिर पड़ा और उसकी टांग टूट गई।
चोर ने इसके लिए घर के मालिक पर अदालत में मुकदमा कर दिया।
गृहपति ने कहा, ‘इसके लिए तो चौखट बनाने वाले बढ़ई पर मुकदमा होना चाहिए।’
बढ़ई जब बुलाया गया, तब उसने कहा, ‘मिस्त्री ने खिड़की का द्वार ठीक से नहीं बनाया, इसलिये दोषी मिस्त्री है।’
और मिस्त्री ने अपनी सफाई में कहा कि मेरे दोष के लिए वह सुंदर स्त्री जिम्मेवार है, जो उसी वक्त उधर से निकली थी, जब मैं खिड़की पर काम करता था।
और उस स्त्री ने अपनी सफाई में कहा, ‘उस समय मैं एक बहुत खूबसूरत दुपट्टा ओढ़े थी। साधारणतः तो मेरी ओर कोई ताकता नहीं है। यह इस दुपट्टे का कसूर है, जो कि चतुराई के साथ इंद्रधनुषी रंग में रंगा गया।’
इस पर न्यायपति ने कहा, ‘अब अपराधी का पता चल गया। उस चोर की टांग टूटने के लिए यह रंगरेज जिम्मेवार है।’
लेकिन जब रंगरेज पकड़ा गया, तब वह उस स्त्री का पति निकला।
और यह भी पता चला कि वही खुद चोर भी था!
कहानी मधुर है और बड़ी गहरी है। और उसे ठीक से समझना, हंसना मत। क्योंकि इस कहानी का उपयोग करीब-करीब लोग भूल ही गए हैं। यह बात ही भूल गए कि यह सूफियों की कथा है। यह तो बच्चों की किताबों में लिखी जा रही है। छोटे बच्चे स्कूल में पढ़ रहे हैं और हंस रहे हैं, जैसे कि यह कोई व्यंग्य हो! यह कोई जोक नहीं है, यह तो बड़ी आधारभूत बात है। यह किसी पागल, विक्षिप्त मजिस्ट्रेट का झक्कीपन नहीं है, यह तुम्हारे जीवन की कथा है। यह कर्म का सिद्धांत है। देर-अबेर तुम पकड़े जाओगे और पाओगे कि तुम ही चोर हो, तुम ही रंगरेज हो।
कब तक इसे टालोगे? इन दोनों छोरों को जल्दी मिला लो, कहानी को पूरा करो। ये दोनों छोर मिले कि तुम बाहर हो सकते हो इस वर्तुल के। यह जो जीवन का चक्र है, इससे तुम कूद सकते हो। जब तक तुम इसको न समझ पाओगे, तब तक तुम इस संसार के इस चक्र में भटकते ही रहोगे। इस बात को समझना कि मैं ही चोर हूं और मैं ही रंगरेज हूं, अपनी स्वतंत्रता को समझ लेना है। अपनी शक्ति को समझ लेना है। अपनी सामर्थ्य को समझ लेना है।
तुम्हारी सामर्थ्य अपरंपार है। यह तुम्हारी सामर्थ्य का फल है कि तुमने इतना बड़ा नरक अपने आसपास निर्मित किया है। इसलिये मैं नहीं कहता कि परमात्मा ने जगत बनाया। मैं कहता हूं, तुमने बनाया। एक तरफ से दुपट्टा रंगा है और एक तरफ से चोरी करने निकल गए हो। बायें हाथ से दुपट्टा रंग रहे हो, दायें हाथ से चोरी कर रहे हो। और तुम्हारा, दोनों हाथों के बीच में तुम्हारा ही सिर फूट रहा है।