तुम्हारी कारीगरी को न पहचान सकी

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हे परम पिता परमात्मा तुमने जगत को रचने  में कितनी कारीगरी की है। और मै मतिहीन तुम्हारी कारीगरी को न पहचान कर ऐसे ही सारा जीवन घुंमती रही हूं। मैंने तुम्हारी कारीगरी को जब जीवन की शाम ढलने को आई तब देखा है। हे स्वामी हे भगवान नाथ मैंने अपने जीवन में कभी तुम्हारा शुक्रिया भी नहीं किया है। मै एक पाप की राशि रही होगी तभी तुम्हारी नहीं बन पाई हूं। बाहर ही घुंमती रही हूं ।

मेरे प्रभु मेरे भगवान मेरे स्वामी मेरे पापो को क्षमा कर देना नाथ म। मै तुम्हारी बनाई कभी आंखों को देखती हूं तब दिल भर आता है कि देख स्वामी ने इस आंख में कितने सपने भरे हैं। फिर आंखो को देखती और सोचती हूं देख भगवान ने तुझे ये नैन दिए इन नैनो से जग दिखता है। मै तुम्हे देखना चाहती हूँ। तुम्हे नैनो में बिठाना चाहती हूं तुम इन नैनो से दिखाई नहीं देते हो दिल रोता है काश जिस परम प्रभु ने तुझे बनाया उन्हें नैन भरकर देख पाती फिर सोचती हूं अन्तर्मन मे भगवान बैठे हैं। फिर हाथों को देखती हूं कि देख कैसे भगवान ने कर्म इन्दीरयो का संयोग बनाया है। हे स्वामी हे भगवान नाथ तुमने क्या नहीं दिया है इस को घङकर तुम इसमें छुपे बैठे रहे ओर मै तुम्हे ढुढ भी नहीं पायी हूं। हे परम पिता परमात्मा मुझे तुमने कैसे अद्भुत प्रेम से सरोबर किया है। हे नाथ तुम रोम रोम में झिलमिलाते रहे और मै पगली कहती हैं कि मै सत्संग कर रही हूं मेरे प्राण नाथ ये सब करने और कराने वाले आप है जय श्री राम अनीता गर्ग

O Supreme Father, God, you have done so much work in making me home. And I have been wandering like this all my life without recognizing your workmanship without any reason. I have seen your workmanship when the evening of life came to pass. Oh lord oh lord nath I have never even thanked you in my life. I must have been the amount of a sin, then I have not been able to become yours. I have been walking outside.

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