प्रभु संकीर्तन 12

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परमात्मा को कभी भी एक रूप में नहीं खोजा जा सकता है। भक्त भगवान को अन्तर्मन से प्रार्थना करता है और बाहरी रूप से भी भजता है।

हम भगवान का पाठ करते हैं परमात्मा का पुजन करते हैं भगवान को निहारते हैं भगवान की लिलाओ का गान करते हुए हम भगवान से अन्तर्मन से जुड़ने लगते हैं तब हम भगवान के विराट रूप से जुङते हुए कहते हैं। परमात्मा सब में निवास करता है।

परमात्मा को अन्तर्मन से नमन और वन्दन करते हुए भगवान के निराकार और साकार रूप से एकाकार होते हैं। भगवान को हम भजते रहे ।भगवान को भजते हुए सब मार्ग अपने आप भगवान दिखा देते हैं कभी हम भगवान को नैनो में बसाते है तो कभी दिल में बैठा कर अपने आप को भुल जाते हैं जय श्री राम अनीता गर्ग



God can never be found in one form. The devotee prays to the Lord internally and also worships externally.

We recite God, we worship God, we look at God, while singing songs of God, we start connecting with God from within, then we say that we connect with God’s great form. The divine resides in all.

While bowing down and saluting the Supreme Soul, one becomes united with the formless and corporeal form of the Lord. We kept worshiping God. While worshiping God, God himself shows us all the ways;

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