सच्ची भक्ति और परमेश्वर की प्राप्ति इसी जन्म में ही हो सकती है


सच्ची भक्ति और परमेश्वर की प्राप्ति इसी जन्म में ही हो सकती है इसलिए जो कुछ करना है अब ही करना है ।फिर या कल का भरोसा न रखो जो आज और अभी नहीं करते और आज का काम कल पर छोड़ देते हैं । वे कभी नहीं कर पाते समय की कद्र करो समय के सागर की लहरें किसी की प्रतिक्षा नहीं करती।इसलिए अभ्यास करके उस एक मालिक का अपने अन्दर अनुभव करो,जबानी जमा-खर्च में न रहो।कोशिश करो और इसी जन्म में ही अपनी आंखों से हकीकत को देखो और अपनी अनमोल नर-देह को जो 84 लाख योनियों में सर्व श्रेष्ठ है उसे सफल करो……आनंद – का – ख़ज़ाना बाणी सन्त गुरु
गुरु अर्जुन देव*
हे प्रभु, आपके अलावा किसी से कुछ माँगने के लिए, सभी दुखों में सबसे बड़ा आमंत्रित करना है। मुझे अपने नाम के साथ आशीर्वाद दें ताकि मैं विवादित हूं और मेरे मन की भूख तुष्ट होती है।वह कहता है कि हमें केवल प्रभु से ही प्रार्थना करनी चाहिए, ताकि हम सभी संतोष और आनंद का खजाना प्राप्त कर सकें। स्वयं के अलावा अन्य किसी से कुछ माँगना दुख और पीड़ा को आमंत्रित करना है।जब तक व्यक्ति सांसारिक इच्छाओं को जारी रखता है, तब तक व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं। हालाँकि, एक व्यक्ति भी इन इच्छाओं को पूरा करने के लिए दुनिया से बंधा रहता है । क्योंकि हम जो कुछ भी मांगते हैं, हमें प्राप्त करने के लिए दुख और दुख की इस दुनिया में वापस आना होगा।
प्रेम – का – बीजसंत-जन निराकार परमात्मा के साकार रूप होते है इस लिये साकार की भक्ति निराकार की भक्ति की पहली सीढ़ी है जब-तक साकार का प्रेम उत्पन्न नही होता तब तक निराकार का भी प्रेम उत्पन्न होना असंभव है । साकार का प्रेम ही निराकार के प्रेम का बीज है ।जब तक यह बीज अंकुरित नही होता भक्ति पेड़ का रूप धारण नही कर सकती आरम्भ ठीक होना चाहिये यदि आरम्भ ही ठीक-न-हो तो मंज़िल पर पहुँच पाना असंभव है । भक्ति के बाकी सब साधन इस साधन पर निर्भर है ।
जय जय श्री राधे कृष्णा जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।,

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