रामजी राम एक बार की बात है गुरू नानक पातशाह खेतो में से गुजर रहे थे पता नहीं किस पर तरस आ गया गुरू नानक पातशाह बैठ गए साथ में भाई बाला जी भाई मर्दाना जी भी थे । एक बालक ने दूर से देखा कोई संत आए है आ गया उठ कर उसके पास घास की बनी हुई चटाई जैसी थी वो लाया और कहने लगा धरती पर मत बैठिए इस पर बैठ जाइए गुरू नानक पातशाह मुस्कुराए उठे और उस पर बैठ गए तो बालक के खेत में चने लगे हुए थे जाकर हरे हरे तोड़ कर लाया कहने लगा ये खा लो तो पातशाह ने भाई बाला जी भाई मर्दाना जी को दे दिए खाने के लिए खुद कभी कभी बहुत कम खाते थे, जहा भी जाते, तो बालक ने सोचा हो सकता है ये चने ना खाते हो इनके लिए कुछ घर से बनवा के लाता हूं । वो जब उठने लगा तो गुरू नानक पातशाह ने हाथ पकड़ कर बैठा दिया कहने लगे बैठ जा ये जो तेरा भाव है खिलाने का यही मेरे लिए पकवान है तेरी सेवा से हम तृप्त है। आओ बैठो सुल्तान । खेतो में काम करने वाले गरीब आदमी को कहते हैं आओ बैठो सुल्तान जवान लड़का है छोटी उमर या कोई बड़ा आदमी नहीं है उसको कह दिया आ बैठ सुल्तान गुरू नानक पातशाह वहा से चले गए पर मुखार बिंद से निकल गए शब्द सृष्टि के मालिक से वो तो पूरे करने ही है सृष्टि ने सुबह सुबह उसी प्रदेश के राजा की मृत्यु हो गई। उसका कोई वारिस नहीं था ,तो मंत्रियों ने निर्णय लिया इस प्रदेश के दरवाजे से जो कोई भी सुबह सुबह निकलेगा उसे राजा घोषित कर देंगे अब इसे सुबह उठने की आदत थी और उठ कर नाम जपने की, कोई ऐसे ही नहीं बन जाता राजा जो अमृतवेले उठते है उनकी किस्मत में लिखे जाते है राज भोग अगर ये दोपहर में सो कर उठने वाला होता तो पहले कैसे प्रवेश कर जाता अब ये रात में उठ कर अमृतवेला संभाल कर आया तो सबसे पहला आदमी यही था अब इसे राजा बना दिया जब ये राज गद्दी पर बैठा है और याद कर रहा है गुरू नानक पातशाह के वचन को आ बैठ सुलतान गुरू नानक पातशाह बार बार हम जैसे मूर्खो को कह रहे हैं जो चाहिए ले लो और ये बात वो कह रहे हैं जो सब कुछ देने की सम्रथा रखता है कहते है तू अमृत वेले उठ कर नाम जाप जो तू मांगे गा मैं तुझे दूंगा गुरू नानक पातशाह कह रहे है जिसको सुल्तान कह दिए सुल्तान बन गया मुर्दे कि तरफ इशारा कर यमदूत छोड़ कर देवता आ गए लेने इसलिए कहते है तू जो चाहिए मांग ले बस अमृत्वेला संभाल ले हमारे जैसा मूर्ख कोन होगा जो ये सब जानते हुए भी अमृत वेला सो जाए जिन्हें नहीं पता अमृत वेला की कीमत क्या है उनका तो कुछ नहीं गया पर जिन्हें पता है अमृत वेला की कीमत क्या है और फिर भी सो जाए तो हमसे बड़ा मूर्ख तो कोई नहीं । इसलिए हमें भी चाहिए कि अमृत वेले उठ कर भजन-सिमरन कर परमात्मा को पाने का अवसर न छोड़े और अपने सतगुरु की खुशी और प्यार हासिल करें ।
गुरु चरणी चित्त ला बंदया
रामजी राम एक बार की बात है गुरू नानक पातशाह खेतो में से गुजर रहे थे पता नहीं किस पर तरस आ गया गुरू नानक पातशाह बैठ गए साथ में भाई बाला जी भाई मर्दाना जी भी थे । एक बालक ने दूर से देखा कोई संत आए है आ गया उठ कर उसके पास घास की बनी हुई चटाई जैसी थी वो लाया और कहने लगा धरती पर मत बैठिए इस पर बैठ जाइए गुरू नानक पातशाह मुस्कुराए उठे और उस पर बैठ गए तो बालक के खेत में चने लगे हुए थे जाकर हरे हरे तोड़ कर लाया कहने लगा ये खा लो तो पातशाह ने भाई बाला जी भाई मर्दाना जी को दे दिए खाने के लिए खुद कभी कभी बहुत कम खाते थे, जहा भी जाते, तो बालक ने सोचा हो सकता है ये चने ना खाते हो इनके लिए कुछ घर से बनवा के लाता हूं । वो जब उठने लगा तो गुरू नानक पातशाह ने हाथ पकड़ कर बैठा दिया कहने लगे बैठ जा ये जो तेरा भाव है खिलाने का यही मेरे लिए पकवान है तेरी सेवा से हम तृप्त है। आओ बैठो सुल्तान । खेतो में काम करने वाले गरीब आदमी को कहते हैं आओ बैठो सुल्तान जवान लड़का है छोटी उमर या कोई बड़ा आदमी नहीं है उसको कह दिया आ बैठ सुल्तान गुरू नानक पातशाह वहा से चले गए पर मुखार बिंद से निकल गए शब्द सृष्टि के मालिक से वो तो पूरे करने ही है सृष्टि ने सुबह सुबह उसी प्रदेश के राजा की मृत्यु हो गई। उसका कोई वारिस नहीं था ,तो मंत्रियों ने निर्णय लिया इस प्रदेश के दरवाजे से जो कोई भी सुबह सुबह निकलेगा उसे राजा घोषित कर देंगे अब इसे सुबह उठने की आदत थी और उठ कर नाम जपने की, कोई ऐसे ही नहीं बन जाता राजा जो अमृतवेले उठते है उनकी किस्मत में लिखे जाते है राज भोग अगर ये दोपहर में सो कर उठने वाला होता तो पहले कैसे प्रवेश कर जाता अब ये रात में उठ कर अमृतवेला संभाल कर आया तो सबसे पहला आदमी यही था अब इसे राजा बना दिया जब ये राज गद्दी पर बैठा है और याद कर रहा है गुरू नानक पातशाह के वचन को आ बैठ सुलतान गुरू नानक पातशाह बार बार हम जैसे मूर्खो को कह रहे हैं जो चाहिए ले लो और ये बात वो कह रहे हैं जो सब कुछ देने की सम्रथा रखता है कहते है तू अमृत वेले उठ कर नाम जाप जो तू मांगे गा मैं तुझे दूंगा गुरू नानक पातशाह कह रहे है जिसको सुल्तान कह दिए सुल्तान बन गया मुर्दे कि तरफ इशारा कर यमदूत छोड़ कर देवता आ गए लेने इसलिए कहते है तू जो चाहिए मांग ले बस अमृत्वेला संभाल ले हमारे जैसा मूर्ख कोन होगा जो ये सब जानते हुए भी अमृत वेला सो जाए जिन्हें नहीं पता अमृत वेला की कीमत क्या है उनका तो कुछ नहीं गया पर जिन्हें पता है अमृत वेला की कीमत क्या है और फिर भी सो जाए तो हमसे बड़ा मूर्ख तो कोई नहीं । इसलिए हमें भी चाहिए कि अमृत वेले उठ कर भजन-सिमरन कर परमात्मा को पाने का अवसर न छोड़े और अपने सतगुरु की खुशी और प्यार हासिल करें । गुरु चरणी चित्त ला बंदया