शिवाजी के गुरु समर्थ जी महाराज

हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद

एक बार शिवाजी के गुरु समर्थ जी महाराज
अपने आसन पर विराजमान थे
वहां बहुत सारे शिष्य आपस में चर्चा कर रहे थें कि
गुरू हमें इतना प्यार नहीं करते
जितना शिवाजी को चाहते हैं।
जब गुरु जी के कानों में ये बात पहुंची
तब गुरु जी अपने सभी शिष्यों के पास लगड़ाते हुए गये
तब शिष्यों ने गुरू से उनके लंगड़ाने का कारण पूछा
तब गुरु ने‌ कहा की मेरे पैर में फोड़ा हो गया
ये फोड़ा तभी ठीक होगा जब कोई इस फोड़े को अपने मुंह से इसकी पीब को चूस कर‌ बाहर निकाले
सभी शिष्य
एक दम चुप रह गये
किसी ने कुछ नहीं कहा
उसी वक्त शिवाजी वहां आए उन्होंने आव‌ देखा न ताव और
एक झटके मे‌ फोड़ो को मुंह में डाल कर चूसने लगे और कहा कि
गुरू जी ये तो‌ बहुत मीठा है। बिल्कुल आम‌ की तर‌ह

दरअसल गुरू ने अपने शिष्यों से एकप्रेम की‌ परीक्षा ली थी
उन्होंने अपने पैर में एक पका हुआ आम बांध लिया ‌था
आम का जो मुंह था वो फोड़े जैसा दिख रहा था
तब गुरु ने‌ अपने शिष्यों से कहा कि
मैं तुम सबके परे की परीक्षा के लिए ये नाटक किया
इसलिए
मैं शिवाजी को सबसे ज्यादा प्रेम करता हूं
जिसके मन में गुरू के प्रति पूरी समर्पणता है , सेवाभाव है।
उसी‌पर गुरू की पूरी कृपा होती है।



Hari Om Tat Sat Jai Sachchidanand

Once Shivaji’s Guru Samarth Ji Maharaj sat on his seat There were many disciples discussing among themselves that teachers don’t love us that much As much as you want Shivaji. When this thing reached the ears of Guru ji Then Guru ji went to all his disciples Then the disciples asked the teacher the reason for his limp. Then the teacher said that I have a boil on my leg. This boil will be cured only when someone takes out this boil by sucking its pus from his mouth. all disciples just kept quiet no one said anything At the same time Shivaji came there, he didn’t see anything and In one fell swoop, he put the boil in his mouth and started sucking it and said that Guru ji, this is very sweet. just like normal

Actually the Guru had tested his disciples for one love he tied a ripe mango to his leg The mouth of the mango was looking like a boil. Then the Guru told his disciples that I did this drama to test you all Therefore i love shivaji the most The one who has complete dedication towards the Guru in his mind, has a sense of service. Guru’s full grace is on him.

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