कृष्ण जन्म पर दिव्य कृष्ण सँदेश

दिव्यकृष्णसँदेश-
“उमड़ घुमड़ कर घिर रहे थे, तिमिर अमा शवरी में काले कजरारे जलद बादल आज! रह-रह कर गरज रहे थे नीलम नभ में रौद्र जलद बादल और रह-रह कर चमक रहे थे नीलम नभ में , चँचल नीलम नीलाँजनाओं के चँचल नीलम आभूषण रुपहले ! जल रहा था बस एक टिमटिमाता हुआ सा छोटा सा स्वर्णदीप कारागार के उस कक्ष में , कर रहे थे स्वप्नरमण जहाँ देवकी और वसुदेव जी अर्ध रात्रि में ! शोर मचा रही थी भादों की चँचल पवन भी पागल सी!!”
“बुझा दिया था पागल पवन ने स्वर्णदीप भी ! उन्मेषित किये वसुदेव जी ने अपने नयन तभी ! चकित जड़ित विस्मित नयनों से देखा उन्होंने , एक चमकता हुआ नीला-नीला सा ज्योतिर्मय और तेजोमय विपुल ज्योतिपुंज वहाँ , हो गया था ज्योतिर्भूत सारा कक्ष जिसके दिव्य प्रकाश से ! हो गया वो दिव्य ज्योतिपुंज परिणित तभी दिव्य श्रीविष्णुरूप में ! थे शँख चक्र पद्म गदा आभूषित विभु श्रीविष्णु के चारों करकमलों में! सूर्यवत चमक रहा था उनका दिव्य श्रीविग्रह ! उनकी शिरोज राशि में था आभूषित नीलम मयूर पँख एक ! उनके श्री नीलम चँदन नीलकँठ में थी आभूषित एक ज्योतिर्मयी विष्णु वैजयँती सुँदर सी ! उन की ललाट पर था आभूषित , उनका ईश्वरीय किरीट आभूषण सुँदर सा! स्वर्णिम पीताम्बर से था आभूषित विभूषित उनका दिव्य ईश्वरीय श्रीविग्रह ! उनके नयनकमलों में था रहस्यमय सा ईश्वरीय भाव एक! उनके अधरकमलों पर थी रहस्यमयी सी ईश्वरीय मुस्कान एक!!”
“स्वप्न से जाग गयीं देवकी जी भी तभी! तब जो देखा उन्होंने वो परम ईश्वरीय था ! वो परम दिव्य था! वो परम अलौकिक था ! वो परम तेजोमय था! वो परम ज्योतिर्मय था! ईश्वर के साक्षात दर्शनों से हो कर अतिशय भक्ति रँजित और अनुरँजित, किया उन दोनों ने जब विभु श्रीविष्णु के श्रीचरणकमलों में, प्रेम रस अमृत से शिंजित कृत्ताञ्जलि प्रणाम, तो ईश्वर ने ये अमृतमय ईश्वरीय वचन कहे, ‘माँ SSS तुम्हारे नीलमणि जैसे पुत्र के रूप में हो रहा हूँ दिव्याविर्भावित मैं आदित्यराज विष्णु आज!!’ और कह कर ये अमृतमय ईश्वरीय वचन हो गये विभु श्रीविष्णु नीलमणि जैसे सुँदर से एक दिव्य ईश्वरीय शिशु के रूप में परिणित!!”
“देख कर, नीलमणि जैसे सुँदर से उस दिव्य ईश्वरीय शिशु को रह गये चकित जड़ित चमत्कृत से देवकी और वसुदेव जी!! “



Divya Krishna message- “The storms were whirling around, the black Kajrare fast clouds in Timir Ama Shavari today! Roaring fast clouds were thundering in the blue sky and shining in the blue sky, the fickle blue sapphire jewels of the Nilanjanas Silver! Only a small flickering golden lamp was burning in that prison cell, where Devaki and Vasudev ji were dreaming in the middle of the night! “The mad wind had extinguished even the golden lamp! Vasudev ji excited his eyes only then! He saw with amazed eyes studded with amazement, a shining azure-blue luminous and brilliant abundant light there, the whole room had become illuminated, whose divine light From this! That divine light turned into the divine Sri Vishnu form only then! Conch Chakra, Padma Gada adorned Vibhu Sri Vishnu’s four karkamals! The sun was shining His divine Sri Deity! His Shiros zodiac had the jeweled sapphire peacock feather one! His Shri Neelam Chandan Neelkanth I was adorned with a bright Vishnu Vaijayanti, beautiful! Her forehead was adorned, her divine crown was beautiful! Her divine idol was adorned with golden Pitambar! Her lotuses had a mysterious divine spirit! On her lotuses, there was a mysterious Such a divine smile!!” Devaki ji also woke up from her dream only then! What she saw then was supremely divine! He was supremely divine! He was supremely supernatural! He was supremely resplendent! Anuranjit, when both of them bowed down to the lotus feet of Vibhu Sri Vishnu, filled with the nectar of love, then God uttered these nectar-filled divine words, ‘Mother SSS, I am taking birth in the form of your son like a sapphire, I am Adityaraj Vishnu today!! ‘ And by uttering these nectar-filled divine words, Vibhu Sri Vishnu transformed into a divine baby as beautiful as a sapphire. Devaki and Vasudev ji were amazed to see that divine child as beautiful as a sapphire studded with miracles!

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