श्री हरि:
पार्वती जी ने पूछा – ‘मुझे श्रीकृष्ण की महिमा कुछ बताइये |’ शंकर जी ने कहा – ‘देवी ! जिसके चरणनख की महिमा का वर्णन असम्भव है, उसकी महिमा क्या बताउं |’ फिर बोले – ‘सुनो, प्रत्येक ब्रह्माण्ड में एक ब्रह्मा, एक विष्णु और एक मैं – शंकर रहते हैं | हम तीनो-के-तीनो उन श्रीकृष्ण की कला के करोड़वें अंश से उत्पन्न होते हैं | इतने तो वे प्रभावशाली हैं | प्रत्येक ब्रह्माण्ड में एक कामदेव रहता है | वह इतना सुन्दर है कि समस्त ब्रह्माण्ड को मोहित किये रहता है | पर उसमे जो सुन्दरता है, वह श्रीकृष्ण की सुन्दरता का करोड़वां-करोड़वां अंश है | वे इतने सुन्दर हैं | उनके शरीर से इतना तेज, इतनी चमक निकलती है कि प्रत्येक ब्रह्माण्ड में जितने सूर्य हैं, सब-के-सब उस चमक के करोड़वें अंश से प्रकाशित होते हैं | उनमे श्रीकृष्ण की अंग प्रभा के करोड़वें अंश से प्रकाश आता है | जगत में जितनी मन को मोहने वाली सुगन्धियाँ हैं, सुगन्धित फूल हैं, सबमे श्रीकृष्ण के अंग-गन्ध के करोड़वें अंश से गन्ध आती है | और बहुत सी बातें बताई हैं – ये सब कवि की कल्पना नहीं, ध्रुव सत्य है तथा सचमुच ही किसी को श्रीकृष्ण के ऐश्वर्य-सौन्दर्य-माधुर्य पर विशवास हो जाय तो फिर उसको जीवन में केवल श्रीकृष्ण की ही चाह रहेगी, बाकी चाहें सब मिट जायँगी |यह सत्य है भगवान के नाम जपते हुए स्तुति करते हुए जब भाव में गहरे उतरते हैं तब भक्त प्रकाश से चकरा जाता है चारो अन्दर बाहर भीतर किरणें ही किरणें होती है जब नाम भगवान मे इतना प्रकाश है। भगवान कृष्ण का प्रकाश अखण्ड हैं। बाहर का अर्थ है जगत मे। भीतर का अर्थ है भक्त के शरीर के अन्दर प्रकाश की किरणो का अदभुत चमकना प्रकाश पुंज का बनना जय श्री राम
Mr. Hari: Parvati ji asked – ‘Tell me some of the glory of Shri Krishna.’ Shankar ji said – ‘Goddess! The glory of whose feet is impossible to describe, what can I tell the glory of him. All three of us are born from the millionth part of the art of Shri Krishna. That’s how impressive they are. There is a Kamadeva in every universe. She is so beautiful that she continues to fascinate the whole universe. But the beauty in it is the millionth-millionth part of the beauty of Shri Krishna. They are so beautiful Such a radiance, so much radiance emanates from his body that all the suns in every universe are illuminated by a millionth degree of that brightness. In them, light comes from the millionth part of Shri Krishna’s organ Prabha. All the pleasant fragrances and fragrant flowers are there in the world, all of them smell from the millionth part of the fragrance of Shri Krishna. And many things have been told – all these are not the poet’s imagination, the pole is true and if someone really believes in the opulence-beauty-melodiousness of Shri Krishna, then he will only want Shri Krishna in his life, everything else will vanish. It is true that while chanting and praising the name of God, when the devotee descends deep into the feeling, then the devotee is baffled by the light. The light of Lord Krishna is unbroken. Out means in the world. Inner means the wonderful shining of the rays of light inside the body of the devotee Jai Shri Ram