नवरात्र पर्व के आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन का विधान होता है। भारत में जहां एक तरफ कन्या भ्रूण हत्या और महिलाओं से बलात्कार की घटनाएं अपने चरम पर हैं वहीं दूसरी ओर कन्याओं को पूजने का रिवाज आपको बहुत हद तक एक-दूसरे का विरोधाभास करते नजर आएगा। लेकिन भारत शायद इसी का नाम है जहां भक्ति और आस्था हर धर्म, मजहब और सामाजिक कारकों से ऊपर है। आज के इस अंक में हम जानेंगे कि दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन क्यूं और कैसे किया जाता है?
नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन का बडा महत्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिविंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों को उनका मनचाहा वरदान देती हैं।
किस दिन करें कन्या पूजन?
कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं लेकिन अष्टमी के दिन कन्या पूजन करना श्रेष्ठ रहता है। कन्याओं की संख्या 9 हो तो अति उत्तम नहीं तो दो कन्याओं से भी काम चल सकता है।
सबसे पहले कन्याओं के दूध से पैर पूजने चाहिए। पैरों पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए। इसके बाद भगवती का ध्यान करते हुए सबको भोग अर्पित करना चाहिए अर्थात सबको खाने के लिए प्रसाद देना चाहिए। अधिकतर लोग इस दिन प्रसाद के रूप में हलवा-पूरी देते हैं। जब सभी कन्याएं खाना खा लें तो उन्हें दक्षिणा अर्थात उपहार स्वरूप कुछ देना चाहिए। फिर सभी के पैर को छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। इसके बाद इन्हें ससम्मान विदा करना चाहिए।
नवरात्र पर्व कितनी हो कन्याओं की उम्र?????
ऐसा माना जाता है कि दो से दस वर्ष तक की कन्या देवी के शक्ति स्वरूप की प्रतीक होती हैं. कन्याओं की आयु 2 वर्ष से ऊपर तथा 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। दो वर्ष की कन्या कुमारी , तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति , चार वर्ष की कन्या कल्याणी , पांच वर्ष की कन्या रोहिणी, छह वर्ष की कन्या कालिका , सात वर्ष की चंडिका , आठ वर्ष की कन्या शांभवी , नौ वर्ष की कन्या दुर्गा तथा दस वर्ष की कन्या सुभद्रा मानी जाती है. इनको नमस्कार करने के मंत्र निम्नलिखित हैं।
- कौमाटर्यै नम: 2. त्रिमूर्त्यै नम: 3. कल्याण्यै नम: 4. रोहिर्ण्य नम: 5. कालिकायै नम: 6. चण्डिकार्य नम: 7. शम्भव्यै नम: 8. दुर्गायै नम: 9. सुभद्रायै नम:
आइए अब सिलसिलेवार तरीके से जानें कि इन देवियों का रूप और महत्व क्या है:
- हिंदू धर्म में दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसके पूजन से दुख और दरिद्रता समाप्त हो जाती है।
- तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है. त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और संपूर्ण परिवार का कल्याण होता है।
- चार वर्ष की कन्या कल्याणी के नाम से संबोधित की जाती है। कल्याणी की पूजा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- पांच वर्ष की कन्या रोहिणी कही जाती है. रोहिणी के पूजन से व्यक्ति रोग-मुक्त होता है।
- छ:वर्ष की कन्या कालिका की अर्चना से विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्ति होती है।
- सात वर्ष की कन्या चण्डिका के पूजन से ऐश्वर्य मिलता है।
- आठ वर्ष की कन्या शाम्भवी की पूजा से वाद-विवाद में विजय होती है।
- नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा कहा जाता है. किसी कठिन कार्य को सिद्धि करने तथा दुष्ट का दमन करने के उद्देश्य से दुर्गा की पूजा की जाती है।
- दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहते हैं. इनकी पूजा से लोक-परलोक दोनों में सुख प्राप्त होता है।
नवरात्र पर्व पर कन्या पूजन के लिए कन्याओं की 7, 9 या 11 की संख्या मन्नत के मुताबिक पूरी करने में ही पसीना आ जाता है. सीधी सी बात है जब तक समाज कन्या को इस संसार में आने ही नहीं देगा तो फिर पूजन करने के लिये वे कहां से मिलेंगी।
जिस भारतवर्ष में कन्या को देवी के रूप में पूजा जाता है, वहां आज सर्वाधिक अपराध कन्याओं के प्रति ही हो रहे हैं. यूं तो जिस समाज में कन्याओं को संरक्षण, समुचित सम्मान और पुत्रों के बराबर स्थान नहीं हो उसे कन्या पूजन का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. लेकिन यह हमारी पुरानी परंपरा है जिसे हम निभा रहे हैं और कुछ लोग शायद ढो रहे हैं. जब तक हम कन्याओं को यथार्थ में महाशक्ति, यानि देवी का प्रसाद नहीं मानेंगे, तब तक कन्या-पूजन नितान्त ढोंग ही रहेगा।
सच तो यह है कि शास्त्रों में कन्या-पूजन का विधान समाज में उसकी महत्ता को स्थापित करने के लिये ही बनाया गया है।
उम्मीद है आस्था और हमारी परंपरा का नवरात्र पर्व समाज में कन्याओं की गिरती संख्या की तरफ भी लोगों का ध्यानाकर्षित करेगा और आने वाले समय में देश के अंदर कन्या भ्रूण हत्या जैसे मामलों में कमी आएगी और महिलाओं की सुरक्षा में व्रद्धि होंगी।
On the eighth and ninth day of Navratri festival, there is a ritual of worshiping the girl child. In India, where on one hand the incidents of female feticide and rape of women are at their peak, on the other hand, you will see the custom of worshiping girls contradicting each other to a great extent. But India is probably the name of this where devotion and faith is above every religion, religion and social factors. In today’s episode, we will know why and how Kanya Puja is done on Durgashtami and Navami.
Girl worship has great importance during Navratri festival. The devotee’s Navratri fast is completed only after worshiping the nine girls as the reflection of the nine goddesses. Maa Durga becomes happy just by giving her dakshina according to her ability and gives her desired boon to the devotees.
On which day should the girl child be worshipped?
Some people worship girls on the day of Navami also, but it is best to worship girls on the day of Ashtami. If the number of girls is 9, then it is not very good, otherwise even two girls can work.
First of all, feet of girls should be worshiped with milk. Akshat, flowers and kumkum should be applied on the feet. After this, everyone should be offered bhog while meditating on Bhagwati, that is, everyone should be given prasad to eat. Most people give halwa-puri as prasad on this day. When all the girls have eaten the food, they should be given something as Dakshina i.e. gift. Then one should take blessings by touching everyone’s feet. After this, they should be sent off with respect.
What is the age of girls in Navratri festival?????
It is believed that a girl child between the age of two to ten years is the symbol of Shakti Swarup of the Goddess. The age of girls should not be above 2 years and not more than 10 years. Two year old girl Kumari, three year old girl Trimurti, four year old girl Kalyani, five year old girl Rohini, six year old girl Kalika, seven year old Chandika, eight year old girl Shambhavi, nine year old girl Durga and ten year old girl A girl child is considered as Subhadra. Following are the mantras to greet them. Kaumatryai Namah: 2. Trimurtyai Namah: 3. Kalyanyai Namah: 4. Rohirnyai Namah: 5. Kalikayai Namah: 6. Chandikaryai Namah: 7. Shambhavyai Namah: 8. Durgayai Namah: 9. Subhadrayai Namah:
Let us now learn in a sequential manner what is the form and importance of these goddesses: In Hinduism, a girl of two years is called Kumari. It is believed that by worshiping it, sorrow and poverty ends. A girl child of three years is considered as Trimurti. Worship of Trimurti leads to the arrival of wealth and welfare of the entire family. A four year old girl is addressed by the name of Kalyani. Worshiping Kalyani brings happiness and prosperity. A five year old girl is called Rohini. Worshiping Rohini makes a person disease-free. By worshiping a six-year-old girl child, knowledge, victory and Raja Yoga are attained. One gets wealth by worshiping a seven year old girl Chandika. Worshiping eight year old girl Shambhavi leads to victory in debate. A nine year old girl is called Durga. Durga is worshiped for the purpose of accomplishing a difficult task and suppressing the evil. A ten year old girl is called Subhadra. Worshiping them gives happiness in both the world and the hereafter.
For the worship of girls on Navratri festival, the number of girls 7, 9 or 11 according to the wish is filled with sweat. It is a simple matter, until the society does not allow the girl child to come into this world, then from where will she get to worship.
In India, where the girl child is worshiped as a goddess, today most of the crimes are being committed against the girl child. As such, in a society where girls are not given protection, proper respect and place equal to sons, it has no moral right to worship girls. But this is our old tradition which we are following and some people are probably carrying. As long as we don’t consider girls to be real superpower, i.e. the prasad of the Goddess, till then the worship of girls will remain just a sham.
The truth is that in the scriptures, the law of girl worship has been made only to establish its importance in the society.
It is expected that the Navratri festival of faith and our tradition will also draw people’s attention towards the declining number of girls in the society and in the coming times, cases like female feticide will decrease in the country and the safety of women will increase.