राम कथा का असली सुख तो उन्हें ही मिलता हैं जिन्हें रामजी प्राण के समान परम प्रिय होते हैं। रामजी की कथा उन्हीं को भाती हैं जिन्हें सत्संग प्रिय है, रामजी को हम आप कितना मानते हैं, कितना चाहते हैं, यह भली भाँति हम जानते हैं, जितना हम रामजी को मानते है उतना ही सुख हम उनसे ले पा रहें हैं। अतः अपनी राम प्रियता बढ़ाएं व सुख से परिपूर्ण हो जाएँ, अतः श्री राम जय राम जय जय जय राम
राम कथा के तेइ अधिकारी ।
जिन्ह के संत संगति अति प्यारी ।
तात कहँ यह बिसेष सुखदाई ।
जाहि प्रानप्रिय श्रीरघुराई ।।
भगवान शिव राम कथा पूर्ण करते हुए पार्वती जी से कहते हैं कि राम कथा के वही अधिकारी हैं जिन्हें सत्संग अत्यंत प्रिय है । उनके लिए तो राम कथा विशेष रूप से सुख देने वाली है जिन्हें राम जी प्राणों के समान प्यारे हैं ।राम जी के नाम समर्पण भाव छुपा हुआ है राम जी की कथा हमारे अन्तर्मन मे प्रेम को जाग्रत करती है। प्रेम में सुख शांति समृद्धि छुपी हुई है
🙏 ।।जय जय श्री राम।। ।
The real happiness of Ram Katha is given only to those who are as dear to Ramji as their life. The story of Ramji is liked only by those who love satsang, we know very well how much you adore Ramji, how much you want him, the more we believe in Ramji, the more happiness we are able to get from him. So increase your love for Ram and be filled with happiness, so Shri Ram Jai Ram Jai Jai Jai Ram
You are the officer of Ram Katha.
Whose saint’s company is very dear.
Where is this special happiness?
Jahi dear Shriraghurai.
While completing the story of Ram, Lord Shiva tells Parvati ji that only those who love satsang are in charge of the story of Ram. The story of Ram is especially pleasing to those to whom Ram ji is as dear as life itself.
🙏 .. Jai Jai Shri Ram. ,