राम नवमी अर्थात राम जन्मोत्सव की शुभकामनाएं

राम नवमी अर्थात राम जन्मोत्सव की अनेकानेक बधाइयाँ
आज का सत्संग
श्री रामचन्द्र जी का चरित्र मर्यादित भक्ति सिखाती है और श्रीकृष्ण का चरित्र पूर्ण भक्ति अर्थात व्यसन भक्ति की ओर अग्रसर करती है
जीव जब भक्ति पथ में प्रथम पग धरता है तो प्रेम लक्षणा भक्ति को श्री रामचन्द्रजी की तरह मर्यादित ही रखना चाहिए
श्री रामचन्द्रजी के जीवन की प्रत्येक अवस्था में मर्यादा है, उनका जीवन यह सीख देता है कि –
एक पुत्र का क्या कर्तव्य है
एक शिष्य को कैसे गुरु सेवा करनी चाहिए
एक भाई को दूसरे भाई में कैसा प्रेम और विश्वास होना चाहिए
पति और पत्नी का क्या कर्तव्य है
मित्रता कैसे निभाना चाहिए
शत्रु के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए
प्रेम और भक्ति में जहां मर्यादा तोड़नी है वहां मर्यादा पुरुषोत्तम ने मर्यादा भंग की है जैसे शबरी के जूठे बेर आरोगे, समुद्र में सेतु बनाया, देवी अहिल्या का उद्धार किया आदि
प्रेम मर्यादा के आवरण में ही सुशोभित होता है
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र की जय
अपने अपने गुरुदेव की जय
श्री कृष्णाय समर्पणं



Many congratulations on Ram Navami i.e. Ram Janmotsav today’s satsang The character of Shri Ramchandra ji teaches limited devotion and the character of Shri Krishna leads to complete devotion i.e. addictive devotion. When the creature takes the first step in the path of devotion, then love, affection and devotion should be limited like Shri Ramchandraji. There is dignity in every stage of Shri Ramchandraji’s life, his life teaches that – what is the duty of a son How a disciple should serve the Guru What kind of love and trust should a brother have in another brother what is the duty of husband and wife how to maintain friendship how to deal with the enemy Where dignity is to be broken in love and devotion, Maryada Purushottam has violated the dignity like Shabri’s false berries will heal, built a bridge across the sea, rescued Goddess Ahilya etc. Love is adorned only in the cover of dignity Maryada Purushottam Shri Ramchandra ki Jai Hail to our own Gurudev Shree Krishna Samarpan

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