बरस रही है राम रस भक्ति लूटन वाले लूट रहे
पाते हैं जो हरी के बंदे छूटन वाले छूट रहे
बरस रहीं है राम रस भक्ति लूटन वाले लूट रहे
कोई पीकर भया बावरा कोई बैठा ध्यान करें है
कोई घर घर अलख जगाए कोई चारों धाम फिरेे है
पाते है जो हरी के बन्दे छूटन वाले छूट रहे बरस रहीं है
राम रस भक्ति लूटन वाले लूट रहे
कोई मन की प्यास बुझाए कोई अपने कष्ट मिटाए
कोई परमारथ काज करें कोई बन बाबा घूम रहे
बरस रहीं है राम रस भक्ति लूटन वाले लूट रहे
कोई पिए हिमालय बैठा कोई पिए देवालय बैठा
पियो अनुरुद्ध भर भर प्याले
मनुष्य जनम फिर नाही मिले
बरस रहीं है राम रस भक्ति लूटन वाले लूट रहे
बरस रही है राम रस भक्ति लूटन वाले लूट रहे
पाते हैं जो प्रभु के बंदे छूटन वाले छूट रहे
बरस रहीं है राम रस भक्ति लूटन वाले लूट रहे
Ram Ras Bhakti is raining
find those who leave the green
Ram Ras Bhakti is raining
Somebody is scared of drinking, someone is sitting and meditating.
Somebody has awakened from house to house, some have wandered around the world.
You find that those who leave the green are raining.
Ram Ras Bhakti looters are looting
Some quench the thirst of the mind, some remove their troubles
Somebody should do some charity
Ram Ras Bhakti is raining
Somebody sitting in the Himalayas, some sitting in the temple
Drink a full cup
human birth is not found again
Ram Ras Bhakti is raining
Ram Ras Bhakti is raining
find that the servants of the Lord are freed
Ram Ras Bhakti is raining