इसे लेहरा के गंगा जटा से बही,
दृश्य ऐसा हुआ है ना होगा कही,
मानो ऐसा लगा जैसे बरसी घटा,
देख के ये छटा तो मजा आ गया,
भाल पे चन्दर माँ कंठ में नील माँ,
देखा जोगी जो ऐसा मजा आ गया,
मनो ऐसा लगा जैसे बरसी घटा
देख के ये छटा तो मजा आ गया,
नाग विष धर गले में लवटे हुए,
सारी सृष्टि स्वयं पे समेटे हुए,
त्रि नैन में वसा त्रिववं का नशा,
इसमें जो डूबा मजा आ गया,
भाल पे चन्दर माँ कंठ में नील माँ,
प्रकृति और पुरष गोरी शंकर बने,
हुए जब एक अरधनैश्वर बने,
आधा तन गोरी का आधा तन भोले का,
देख अद्भुत नजारा मजा आ गया,
भाल पे चन्दर माँ कंठ में नील माँ,
It flowed from the Ganges Jata of Lehra,
The scene has happened like this or will it happen somewhere,
It was as if it was raining,
It was fun seeing this shade,
Blue mother in the throat,
Saw Jogi who had such fun,
I felt like it was raining
It was fun seeing this shade,
The snake venom was in the throat,
Enclosing the whole creation on Himself,
Fat Trivav’s intoxication in Tri Nain,
The fun immersed in it,
Blue mother in the throat,
Nature and man became Ghori Shankar,
When one became Ardhaneshwar,
Half body of fair body half body of naive,
Enjoyed the wonderful view
Blue mother in the throat,