नवरात्रि के पांचवी स्कन्दा माता माहारानी।
इसका ममता रूप है ध्याए ग्यानी ध्यानी॥
कार्तिक्ये को गोद ले करती अनोखा प्यार।
अपनी शक्ति दी उसे करे रकत संचार॥
भूरे सिंह पे बैठ कर मंद मंद मुस्काए।
कमल का आसन साथ में उसपर लिया सजाए॥
आशीर्वाद दे हाथ से, मन में भरे उमंग।
कीर्तन करता आपका छाडे नाम का रंग॥
जैसे रूठे बालक की सुनती आप पुकार।
मुझको भी वो प्यार दो मत करना इनकार॥
नवरात्रों की माँ कृपा कर दो माँ।
नवरात्रों की माँ कृपा कर दो माँ॥
जय माँ सकंदा माता।
जय माँ सकंदा माता॥
The fifth Skanda Mata Maharani of Navratri.
Its motherly form is Dhyaye Gyani Dhyani.
Unique love adopts Kartikeya.
Give your power to him, let him transmit blood.
Sitting on the brown lion, he smiled softly.
Decorate the lotus seat with it taken on it.
Bless you with your hands, fill your heart with enthusiasm.
The color of your name chanting.
Like you hear the cry of an angry child.
Don’t refuse to give me that love too
Mother of Navratras, please mother.
Mother of Navratras please mother
Jai Maa Sakanda Mata.
Jai Maa Sakanda Mata