झनक उठे पाओ की प्यालियाँ

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झनक उठे पाओ की प्यालियाँ भजे रे जब श्याम की मुरलियां
सुध बुध खोई राधा यमुना के तट पे नाच रही बन के वन्वारियां
झनक उठे पाओ की प्यालियाँ

कुछ तो बात कान्हा बंसी में जरुर है राधा रानी नाचने को हुई मजबूर है
ललिता भी घूम रही राधा के संग में सरे ब्रिज वाला नाचे भाव के उमंग में
खिल खिला के हस रही फूलो की कलियाँ
घर है कदम के गलियां
झनक उठे पाओ की प्यालियाँ

लाल चुनरियाँ ओढे नीले आस्मां में हुए सब मोहन के मन मोहक मुस्कान पे
मुरली बजा तू कान्हा सब को लुभाते है देव लोक से देवता भी फूल बरसाते है
स्वर्ग से सुंदर घटा छाई मधुवन में चेहक रही वृंदावन की गलियां
झनक उठे पाओ की प्यालियाँ

Wake up when you send your cups to Shyam’s murlies.
Sudh Budh Khoi Radha is dancing on the banks of the Yamuna.
Get a glimpse of the cups

Something is definitely there in Kanha Bansi. Radha Rani is forced to dance.
Lalita is also roaming with Radha in the joy of dancing in Surrey Bridge.
blooming blooming flower buds
Ghar is step lanes
Get a glimpse of the cups

Wearing red chunaris in blue sky, on Mohan’s charming smile
Playing the murli, Kanha woos everyone, God also showers flowers from the world of God.
The lanes of Vrindavan are queering in Madhuvan.
Get a glimpse of the cups

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