कान्हा कैसी प्रीत लगाई,
बिनु सुमिरन तड़पत मन मोरा,
जल बिनु मीन की नाई,
कान्हा कैसी प्रीत लगाई……
राधा मीरा दोनों की गति,
अब मोहें समझ में आई,
कान्हा कैसी प्रीत लगाई……
मोरे मन मंदिर में बैठा,
तोरी हरपल लेऊँ बलाई,
कान्हा कैसी प्रीत लगाई……
अब दूर न मोसे जाना कान्हा,
बस चाहूँ तोरी ठकुराई,
कान्हा कैसी प्रीत लगाई…..
How did you love Kanha?
Binu Sumiran tormented mind Mora,
Like water binu Pisces,
How did you love Kanha?
Radha Meera speed of both,
Now I understand,
How did you love Kanha?
More mind sitting in the temple,
Take Tori Harpal,
How did you love Kanha?
Now don’t go far, Kanha
I just want Tori Thakuri,
How did you love Kanha?