मोहन प्यारे हो अबतो देदो दर्शन जी,
भक्तो की हे पुकार लगी।हो,
कोन बजावे बन्सी ब्रिज में,मधुर मनोहर स्वर में,
अब तो आजाओ सरकार,भक्तो की यही पुकार,
अब तो आओ हमारे भी द्वार हो,
मोहन प्यारे……..
मोर मुकुट माथे पर साजे, हाथ में बन्सी सुहानी,
गोकुल में तू गइया चराई,गोपियों से रास रचाई,
अब तो आओ हमारे भी द्वार हो,
मोहन प्यारे….….
गोकुल में माखन चुरावे,ब्रज में रास रचावे,
राधेरानी के सरकार,मेरे स्याम धनी सरकार,
अब तो आओ हमारे भी द्वार। हो,
मोहन प्यारे,,,,,,,,
You are dear Mohan, now dedo Darshan ji,
Oh the call of the devotees. Yes,
In kon bajawe bansi bridge, in a melodious melodious voice,
Now come the government, this is the call of the devotees,
Now come we also have doors,
Mohan dear…….
The peacock crown is adorned on the forehead, the bansi is pleasant in the hand,
You went grazing in Gokul, made love to the gopis,
Now come we also have doors,
Mohan dear…..
Steal butter in Gokul, make Raas in Braj,
Radherani’s government, my Siam Dhani government,
Now come to our door too. Are,
Mohan dear,,,,