कावड़ उठा लो शिव पे चडालो,
मन चाहा वर इनसे पा लो सावन फुहार कह रही है,
गंगा की धार बेह रही है,
शिव वरदानी भस्मासुर को वर निराला दे बैठे,
भस्म हुआ अपने हाथो से मोहनी रूप प्रभु धारे,
बाबा मेरे भोले बाले,
तू वी आ झोली फैला ले सावन फुआर कह रही है,
गंगा की धार बेह रही है,
ओ ब्रह्म कमण्डल निकली गंगा शिव जटा में लिपटाये,
भागी रथ के पुरखे तारे एक लट जो भिखराये,
डमरू वाले खेल निराले तू भी इनका ध्यान लगा ले,
सावन फुआर कह रही है गंगा की धार बेह रही यही,
देवो ने पेय अमृत ये पे गये विष के प्याले,
नील कंठ कहलाने वाले गले में देखो विष धारे,
बाबा के है खेल निराले शीश चरणों में झुका ले,
श्याम ने सुणा दे तेरे मन की बाता,
Pick up the cauldron, put it on Shiva,
If you want to get it from them, Sawan is saying spray,
Ganga’s torrent is flowing,
Shiva gave the boon to Bhasmasur, a boon, sat down.
With his own hands, the Lord holds the form of a charmer,
Baba my innocent children,
You are saying,
Ganga’s torrent is flowing,
O Brahm Kamandal came out, Ganga shiva wrapped in hair,
The ancestral star of the chariot was a braid that beggars,
Damru’s game is unique, you should also pay attention to them,
Sawan Phuar is saying that this is the torrent of Ganga flowing,
Gods drink nectar;
Look for the poison in the neck called Neelkanth,
Baba’s game is unique, bow your head at the feet,
Shyam has narrated the matter of your mind,