शंकर मेरे जगत पिता है पारवती मेरी माता
दर तेरे आता हूँ आरती गाता हूँ,
चरणों में तेरे धोक लगाऊं दर्श तेरा मैं चाहता,
क्यों ना तरस तुझे आता,
तुम बिन मेरा कौन सहारा,
पार्वती मेरी माता……….
अवगुण चित ना धरो सिर पर हाथ धरो,
मैं हूँ पापी और दुष्कर्मी खोल ना मेरा खाता,
सुनले जग के विधाता मेरी नैया डगमग डोले,
क्यों नहीं पार लगाता,
पार्वती मेरी माता……..
धीर बंधाओ ना हाथ फिराओ ना,
नैनो से बहे जल की धारा,
क्यों ना तरस तुझे आता,
मुझसे नहीं क्या नाता,
किस दर जाऊं किसको सुनाऊँ,
दुःख से भरी ये गाथा पार्वती मेरी माता,
Shankar is my world father, Parvati is my mother
I come after you and sing the aarti,
I want to see you at your feet,
Why don’t you feel sorry?
Who is my support without you,
Parvati my mother………..
Do not hold a demerit mind, hold your hand on your head,
I am a sinner and a rapist, don’t open my account,
The creator of the world of Sunle, my naya shaken dole,
Why not cross
Parvati my mother………
Don’t be patient, don’t wave your hand,
Stream of water flowing through Nano,
Why don’t you feel sorry?
What’s not with me
At what rate should I go, whom should I tell?
This saga full of sorrow Parvati my mother,