श्री गोविंद देव जू प्राकट्य उत्सव विशेष श्री कृष्ण एक ग्वाल बालक के रूप में गए
तथा रूप गोस्वामी से बोले की बाबा क्यू रोते हो?
रूप गोस्वामी बोले की मेरे गुरुदेव ने मुझे एक विशेष काम दिया था पर मुझ पापी से वह काम नहीं हो रहा इसीलिए रो रहा हु।
बालक बोला – कैसा काम?
रूप गोस्वामी बोले – ये एक विचित्र काम है प्रभु की सेवा का काम।
बालक बोला – अरे बाबा विचित्र काम का तो नही पता पर तुम्हे एक विचित्र घटना दिखाते है।
यह बोल के श्री कृष्ण रूप गोस्वामी को गोमाटीला नाम की जगह ले गए।
वहा रूप गोस्वामी जी ने देखा कि टीले के एक शिखर पर एक गाय खड़ी है जिसके थन से स्वत ही दुग्ध मिट्टी पे गिर रहा है।
ये देख के रूप गोस्वामी हैरान हो गए।
वे इधर उधर देखने लगे तब तक वह बालक भी अंतर्ध्यान हो चुका था।
उन्होंने सोचा की इस स्थान पर जरूर कुछ न कुछ विशेष है जभी तो यहां ऐसा चमत्कार हो रहा है।
तब रूप गोस्वामी ने जिस जगह दूध गिर रहा था वहा पर कुछ लोगो की सहायता से खुदाई प्रारंभ की।
तब उस टीले के नीचे से बसंत पंचमी के दिन हमारे प्राणधन श्री गोविंद देव जू प्रकट हुए
बोलो ब्रज के महाराज श्री गोविंद देव जू की जय
कल का उत्तर – रूप गोस्वामी के अतिरिक्त सनातन गोस्वामी , रघुनाथ भट्ट गोस्वामी,श्री जीव गोस्वामी,गोपाल भट्ट गोस्वामी , रघुनाथ दास गोस्वामी थे।💖💖💖💖