थां बिन म्हारी आँख्या हो गी बावली,
हिताबर के मन में बस गई सूरत थारी संवाली,
मनरो म्हारो सुनो धोले,
डगमग झोला खावे है,
आंखन लागे विरहा की मारी अनसु उड़ा टपकावे है,
किया चाल सी ता बिन माहरी गाडली,
हिताबर के मन में बस गई……
मीरा पर किरपा की नीती सुन बा आया बात्डली,
दास तारो ये आस लगाया करो उडीक के बात्डली,
प्रेम याम से भरदो हमारी बाटली,
हिताबर के मन में बस गई……
पहला प्रीत लगाके क्यों छोड़े मजधार जी,
प्रेम भाव को पाठ पड़ा कर मत बिसरे दिल दार जी,
मन में रम गई सूरत थारी सवाली,
हिताबर के मन में बस गई……
हे छोड़ो पण मैं न छोडू मैं तो थारो दास जी,
खाटू का श्याम मुरारी मैं तो थारो खास जी ,
आलू सिंह था बिन अखिया बावली,
हिताबर के मन में बस गई……
Than Bin Mhari Aankhya Ho Gi Baoli,
Surat Thari Sanwali settled in Hitabar’s mind,
Manro mharo listen dhole,
Have a staggered bag,
Aankhen lage virha ki mari ansu is dripping,
Kiya chal si ta bin mahri gadli,
Settled in Hitabar’s mind……
After listening to Kirpa’s policy on Meera, I came Batdali,
Das taro ye hope laga karo udik ke batdali,
Fill our bottle with love,
Settled in Hitabar’s mind……
Why did you leave Mazdhar ji with your first love?
Don’t lose heart by reading love.
Surat Thari question got stuck in my mind,
Settled in Hitabar’s mind……
O leave me, don’t leave me, I am Tharo Das ji,
Khatu Ka Shyam Murari Main To Tharo Khas Ji,
Aloo Singh Tha Bin Akhiya Baoli,
Settled in Hitabar’s mind……