तु मन की अति भोरी ओ मईया मोरी तू मन की अति भोरी,
जा को घर भरियो दही माखन सू,
वो क्यो करन लग्यो चोरी,
ओ मईया मोरी तू मन की अति भोरी,
ना काहु को माखन खायो ना कोई मटकी फोडी,
मोरे मुख माखन मल के रे सनमुख,
लाई अहीर की छोरी,
ओ मईया मोरी तू…
दिन दिन भर मे तो धेनु चरावत करत चाकरी तोरी,
फिर उपर से वाकी सुनत है ,
झुठी कहानी जोरी,
ओ मईया मोरी तू मन की अति भोरी….
You are too young of mind, O Mayya Mori, you are too young of mind,
Go home and fill it with curd, butter,
Why did he start stealing,
O Maya Mori, you are very sweet in heart,
Do not eat butter to Kahu, nor do you cook any pot,
More mukh makhan mal ke re sanmukh,
Lai Ahir’s daughter,
Oh Maya Mori you…
Throughout the day, the chakri zucchini used to grapple with Dhenu,
Then the voice is heard from above,
false story,
O Mayya Mori, you are very sweet in your mind….