|| श्री हरि: ||
गत पोस्ट से आगे……..
यदि परमात्मा की प्राप्ति के लिये साधन होगा तो कंचन-कामिनी, मान-बड़ाई में अटकेंगे नहीं | यदि साधन का आदर नहीं करेंगे तो नीयत उच्चकोटि की नहीं है | दम्भी-पाखण्डी भजन-ध्यान का ढोंग करके दूसरों को मोहित कर लेते हैं और अपनी सेवा-पूजा करवाने लग जाते हैं | जब पूजा स्वीकार करने लग जाता है तो वह पूजा का दास हुआ, न की भगवान् का दास | जो स्त्री के वश में हो जाता है वह स्त्री का दास है, परमात्मा का दास नहीं | यदि परमात्मा का दास होता तो इन सबको ठुकरा देता |
कई साधक खुली जगह में बैठकर लोगों को दिखाने के लिये खूब जोरों से ध्यान करते हैं और जब वे एकान्त में होते हैं तो उनसे कभी माला हाथ में से गिरती है तो कभी नींद आती है, क्योंकि वहाँ कोई देखता तो है नहीं, बाहर तो वह दूसरों को दिखाने के लिये करता है | वहाँ भगवान् नहीं आते; क्योंकि वह तो ठग है |
ऐसी जगह से भगवान् बहुत दूर रहते हैं | भीतर से भगवान् चाहे और भगवान् के आने में देर हो तो भीतर में दु:ख हो कि अभी तक भगवान् नहीं आये, क्या बात है ? हे भगवन ! यदि आप नहीं आयेंगे तो हमारी क्या गति होगी, हम तो मारे जायँगे | आपके बिना हमारा कोई भी सहायक नहीं | यह भाव होना चाहिये |
भजन-ध्यान हो गया सो हो गया – ऐसा कहने से भगवान् नहीं मिलते | हमारा समय यदि ठीक नहीं बीत रहा है तो इसे ठीक बिताने की चेष्टा करनी चाहिये | जब दांत टूट जायँगे, मुँह पर झुरियाँ पड़ जायँगी, चलना-उठना-बैठना मुशिकल हो जायगा, तब हमारा क्या सुधार होगा ?
क्या अभी आपके हाथ में समय है ? भरोसा नहीं कब मृत्यु हो जाय | कब इस संसार-सागर से चले जायँ | मृत्यु आ जायगी तो क्या आप उसे कहेंगे कि आज नहीं कल आ जाना | कहने से भी कौन सुनेगा ? फिर शरीर के साथ-साथ सब सम्पति यहीं छूट जायगी |
— :: x :: — — :: x :: —
शेष आगामी पोस्ट में |
गीताप्रेस, गोरखपुर द्वारा प्रकाशित पुस्तक “परम सेवा“ १९४४ से |
— :: x :: — — :: x :: —
, Sri Hari: ||
— :: x :: —
— :: x :: : —
Continuing from the last post…..
If there is a means to attain God, then Kanchan-Kamini will not get stuck in pride. If you do not respect the means, then the intention is not of high quality. Pretense-hypocrites fascinate others by pretending to worship and meditate and start getting their service-worship done. When he starts accepting worship, he has become a slave of worship, not a slave of God. The one who gets under the control of a woman is a slave of the woman, not a slave of God. If he was a servant of God, he would have rejected all of them. Many sadhaks sit in an open place and meditate very hard to show it to the people, and when they are in solitude, sometimes the rosary falls from their hand and sometimes they feel sleepy, because no one is watching there, outside. Does it to show others. God does not come there; Because he is a thug. God stays far away from such a place. God wants from inside and there is delay in coming of God, then there is sorrow inside that God has not come yet, what is the matter? O God! If you don’t come then what will be our speed, we will be killed. We have no helper without you. This should be the feeling.
Bhajan-meditation is done, so it is done – God is not found by saying this. If our time is not passing well then we should try to spend it properly. When the teeth are broken, wrinkles appear on the face, it becomes difficult to walk, get up and sit, then what will be our improvement? Do you have time now? Can’t believe when to die. When will I leave this world-ocean? If death comes, will you tell him to come tomorrow, not today? Who will listen even after saying this? Then all the wealth will be left here along with the body.
— :: x :: — — :: x :: —
Rest in upcoming post.
The book “Param Seva” published by Geetapress, Gorakhpur since 1944.
— :: x :: — — :: x :: —