वैष्णव इसलिये गले में तुलसी की कण्ठी धारण करते हैं । ये शरीर भोग के लिये नहीं है-
यह शरीर भगवान् को अर्पण हो गया । जिस वस्तु में आप तुलसी-पत्र रखते हो, वह कृष्णार्पण हो जाती है । तुलसी-पत्र के बिना भगवान् स्वीकार नहीं करते । गले में तुलसी की माला धारण करने का अर्थ यह है कि यह शरीर अब भगवान् को अर्पण हुआ है । शरीर भगवान् का है, शरीर भगवान् के लिये- शरीर अब भोग के लिये नहीं है । बहुत-से लोग गले में तुलसी की कंठी तो धारण करते हैं-
उसका अर्थ नहीं समझते ।
जय श्री कृष्ण