आज का प्रभु संकीर्तन।सत्संग की बहुत महिमा है, सत्संग तो वो दर्पण है जो मनुष्य के चरित्र को दिखाता है ओर साथ साथ चरित्र को सुधारता भी है।सत्संग से मनुष्य को जीवन जीने का तरीका पता चलता है, सत्संग से ही मनुष्य को अपने वास्तविक कर्तव्य का पता चलता है।भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, मनुष्य के जीवन में अशांति ,परेशानियां तब शुरु हो जाती है जब मनुष्य के जीवन मे सत्संग नही होता।
संतो के संग से मिलने वाला आनंद तो बैकुण्ठ मे भी दुर्लभ है।कबीर जी कहते है कि
राम बुलावा भेजिया दिया कबीरा रोय ,,,
जो सुख साधू संग में सो बैकुंठ न होय!!
रामचरितमानस मे भी लिखा है की:-
तात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरि तुला एक अंग।
तुल न ताहि सकल मि
लि जो सुख लव सतसंग।।
हे तात ! स्वर्ग और मोक्ष के सब सुखों को तराजू के एक पलड़े में रखा जाये ते भी वे सब सुख मिलकर भी दूसरे पलड़े में रखे हुए उस सुख के बराबर नहीं हो सकते, जो क्षण मात्र के सत्संग से मिलता है।’सत्संग सब मङ्गलो का मूल है जैसे फूल से फल और फल से बीज ओर बीज से वृक्ष होता है उसी प्रकार सत्संग से विवेक जागृत होता है और विवेक जागृत होने के बाद भगवान से प्रेम होता है ओर प्रेम से प्रभु प्राप्ति होती है.
जिन्ह प्रेम किया तिन्ही प्रभु पाया……….
सत्संग से मनुष्य के करोडो करोडो जन्मो के पाप नष्ट हो जाते है,सत्संग से मनुष्य का मन बुद्धि शुद्ध होती हैं
सत्संग से ही भक्ति मजबूत होती है.।भक्ति सुतंत्र सकल सुखखानि,,बिनु सत्संग न पावहि प्राणी…
भगवान की जब कृपा होती है तब मनुष्य को सत्संग और संतो का संग प्राप्त होता है…
सत्संग मे बतायी जाने वाली बातो को जीवन मे धारण करने पर भी आनंद की प्राप्ति और प्रभु से प्रीति होती है।जीवन से सत्संग को अलग नही करना चाहिये।जब सत्संग जीवन मे नही रहेगा तो संसार के प्रति आकर्षण बढेगा।सत्संग बहुत दुर्लभ है।और जिसे सत्संग मिलता है उस पर भगवान की विशेष कृपा होती है ।जय जय श्री राधेकृष्ण जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।
Today’s Prabhu Sankirtan. There is great glory of satsang, satsang is the mirror which shows the character of a man and also improves his character. Through satsang, a man learns the way to live life, it is only through satsang that man gets to know his true self. The real duty is known. Lord Shri Krishna says in Bhagavad Gita, unrest, troubles start in the life of a man when there is no satsang in the life of a man. The joy that comes from the company of saints is rare even in heaven. Kabir ji says that Kabira Roy was sent for Ram’s invitation. The happiness that is in the company of a saint is not heaven. It is also written in Ramcharitmanas that:- One part of the body of happiness, heaven and heaven. tul na tahi gross mi Li Jo Sukh Love Satsang. Hey Tat! Even if all the pleasures of heaven and salvation are placed in one pan of the scale, all those pleasures put together cannot be equal to the happiness kept in the other pan, which is achieved by satsang just for a moment. ‘Satsang is the root of all blessings. Just as a flower produces a fruit, a fruit produces a seed, and a seed produces a tree, in the same way the conscience is awakened by satsang and after the conscience is awakened, there is love for God and through love one attains the Lord. Those who loved only three got God………. The sins of millions of births of a man are destroyed by satsang, the mind and intellect of man becomes pure by satsang. Devotion becomes strong only through satsang. When there is grace of God then man gets satsang and company of saints… Even if you imbibe the things told in satsang in your life, you get happiness and love for God. Satsang should not be separated from life. When satsang is not there in life, attraction towards the world will increase. Satsang is very rare. And the one who gets satsang is blessed by God. Jai Jai Shri Radhekrishna ji. May Shri Hari bless you.