पापा के सपने
में एक बार बचपन में पापा से गुस्सा होकर घर से चल दिया इतना गुस्सा था कि गलती से जल्दी में पापा के जूते पहन लिये और मन में ये धारण कर लिया कि आज मैं घर छोड़ दूंगा
और फिर कभी घर नहीं लौटूंगा और तभी लौटूंगा जब कुछ कमाने लगुंगा और अपने परिवार के सपने पूरे करूंगा
जब मुझे साइकिल नहीं दिला सकते।।तो क्यों मेरे पढ़ने लिखने और बड़ा आदमी बनाने के सपने देखते हैं ।अब मुझे नहीं पढ़ना है और न ही बड़ा आदमी बनना
मेरे पास पैसे नहीं थे तब मेने पापा का पर्स भी उठा लिया वो जिसे कभी किसी को छुने तक नहीं देते थे
मुझे लगा इस पर्स में जरूर कुछ पैसे होंगे और हिसाब किताब भी होगा अब पता चलेगा कि पापा ने कितना माल छुपा रखा है मां और हम सब से बचाकर
इसलिए पर्स से हाथ नहीं लगाने देते हैं
जेसे ही में कच्ची सड़क पर आया मुझे लगा जूते में कुछ चुभ रहा है मेने जूता उतार कर देखा तो मेरी ऐड़ी में थोड़ा सा खून रिस रहा था जैसे जूते की कोई कील निकलीं हुईं हैं
मेरा पैर दर्द होने लगा लेकिन मैं गुस्से में सोच रहा था कि आज कुछ भी हो घर वापस नहीं जाउंगा
जेसे ही कुछ दूर चला कच्ची सड़क पर पानी भरा हुआ था मेरे दोनों पैर गीले हो गए और मैंने पैर उठा कर देखा तो जूते का तला फटा हुआ था
जेसे तेसे गीले पैर लंगड़ाकर पक्की सड़क पर पहुंचा पता चला कि एक घंटे तक कोई सवारी नहीं है
मेने सोचा कि क्यों ना पापा के पर्स चेक कर लूं पर्स खोला तो उसमें दो सो रुपए थे और एक पर्ची थी मैंने पर्ची खोलकर देखी तो उसमे 40000हजार रुपए का उधार लिखा हुआ था जो पापा ने हम सब कि जरूरत के लिए उधार लिया था
फिर मैंने पर्स खोला तो उसमें एक पर्ची और थी जो शायद छोटी बहन ने लिखी थी जिसमें बजार से लाने का समान लिखा था उसमें पापा के नये जूते लेने के लिए भी लिखा था
जो मां पापा को हर बार टोकती रहतीं थीं कि बजार जाकर नये जूते पहने लो लेकिन हर बार पापा कहते हुए टाल देते थे कि अभी जूते कहा पुराने हैं अभी तो ये दो तीन महीने चलेंगे
अब मुझे पता चला कि जूते कितने चलेंगे,,
फिर पर्स खोला तो उसमें एक और पर्ची निकलीं जिसमें नयी साइकिल का विल था जो पापा मेरे लिए खरीद रहे थे
जब मेरी नजर एक्सचेंज लिखें शब्द पर पड़ी तो मेरे होश उड़ गए मतलब पापा अपनी पसंदीदा साइकिल और कुछ पसंदीदा चीजें एक्सचेंज करके मेरे लिए साइकिल खरीद रहे थे ओहहहह
तब मैं घर की और भागा और पांव में कील चुभ रही थी और सोच रहा था पापा ने हमारे लिए अपनी हर खुशी कुर्बान कर दी और में उनसे दूर जाने की सोच रहा हू
मै भाग कर घर पहुंचा तो पापा घर पर नहीं मिले आंखें आंसुओं से भर गयी
में समझ गया था कि पापा कहा गये होंगे में दौड़कर बजार पहुंचा पापा बजार से घर के समान खरीद रहे थे
मेने उनको दौड़कर गले लगा लिया और आंसुओं से उनका कन्धा भिगो दिया
नहीं,,,, पापा,,,, नहीं,,, मुझे,, नहीं चाहिए साइकिल
आप मेरे सपने पूरे करते रहे ,और मैं आप के सपनो को भुल गया कितना नालायक हूं मैं
तब पापा ने मुझे रोते रोते चुप कराया और मेरे आंखों से
आंसूओं को पोंछ दिये मेंने कहा पापा से
बस आप नये जूते पहने लो। और अब मैं आप के सारै सपने पूरा करूंगा और अगले दिन खुशी खुशी घर छोड़ कर शहर चला आया पापा के सपने पूरे करने के लिए
लेकिन नसीब ओर हालात सपनों के सामने खड़े रहते हैं जो चहा कर भी सपने पूरे नहीं होने देते
वो माता पिता हि है जो हमारे सपने पूरे करने के लिए हर दुःख तकलीफ़ छेलते है
जब तक पापा होते हैं तो बच्चों के सपने पूरे होते हैं और जब पापा नहीं होते हैं तो बच्चों के सपने भी टूट जाते हैं
पापा एक ऐसे क्रेडिट कार्ड है जिसके पास बैलंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते हैं,,,,,और
मां एक ऐसी बैंक है जहां आप भावना दुःख दर्द जमा कर सकते हैं ,,,,,,,😢😢😢 I love u papa 😭