फकीर सेविका द्वारा बनवाया गया विशाल मंदिर दो पैसे से

एक ईसाई फकीर सेविका हुई है सेंट थेरेसा । बड़ी बहुमूल्य स्त्री थी वह ।
उसने गांव के चर्च में जाकर घोषणा की कि मैं बहुत बड़ा मंदिर बनाना चाहती हूं । वह गांव बिल्कुल छोटा था । लोगों ने उसे कहा कि हम कहां से इतना पैसा इकट्ठा करेंगे । कैसे बन पाएगा इतना बड़ा मंदिर ? कौन देगा हमें इतना धन ?
तब थेरेसा ने अपनी जेब में हाथ डाल कर दो पैसे निकाले । उसने कहा दो मेरे पास हैं । इनसे काम शुरू हो जाएगा । उसकी बात सुनकर लोग हंसने लगे । लोगों ने उसे कहा, हमें पहले ही शक था कि तेरा दिमाग खराब है । इन दो पैसों से महान मंदिर बनाने की बात करती है पागल । करोड़ों रुपए की जरूरत है ।
सेंट थेरेसा ने कहा, यह ठीक है कि तुम्हें ये दो पैसे दिखाई पड़ते हैं । उसने पूछा कि मेरे पास दो हैं तो उसके पास कितने हैं जिसका मंदिर बनवाना है ? वह भी तो मेरे साथ है । ये दो पैसे तो काम की शुरुआत के लिए हैं । बाकी तो सब उसी ने करना है । हम होते ही कौन हैं करने वाले ? हमारी ताकत ही क्या है उसके बिना करने की ?
ये दो पैसे खर्च करके हम उस परमात्मा से कहेंगे कि अब तेरी मर्जी । अब तू जाने प्रभु और तेरा काम जाने । कहते हैं कि उस फकीर सेविका द्वारा बनवाया गया वह विशाल मंदिर आज भी खड़ा है ।
महापुरुष हमें तर्क देकर समझाते हैं कि तुम दो पैसे ही रहना । जैसे ही तुम अहंकार त्याग कर निर्बल हो जाओगे, वैसे ही उस परम शक्ति का स्रोत तुम्हारे हाथ लग जाएगा । तब तुम सम्राट हो जाओगे । अगर तुमने खुद को शक्तिशाली समझने की कोशिश की तो तुरंत दो पैसे के हो जाओगे ।
ध्यान रहे कि यहां सतगुरु की चरण शरण का बड़ा ही महत्व है । सतगुरु सदा ही तुम्हारे अहंकार का हरण करना चाहते हैं । तुम्हारे अहंकार को तोड़ कर तुम्हें निर्बल बना देना चाहते हैं । असहाय बनाना चाहते हैं । ताकि तुम यह ना कह सको कि मैं हूं ।
सतगुरु तुम्हें ऐसा बनाना चाहते हैं कि जैसे मरुस्थल में कोई प्यासा पड़ा हो । जिसके आसपास दूर-दूर तक जल ना हो । उस क्षण तुम्हारे भीतर प्रार्थना की प्यास उठेगी । तब तुम पाओगे कि निर्बल का बलराम है ।
तब तुम्हें परमात्मा के बिना कोई दूसरा याद ना होगा । तभी तुम्हारा उससे एकाकार होगा । तभी तुम परमात्मा के महत्व को समझ पाओगे । तभी तुम्हारा अहंकार टूटेगा साथी ।
ध्यान रखना कि भिखारी तुम अपने कारण हो और सम्राट तुम उसकी कृपा से बन जाते हो ।
तू भी कभी सतगुरु के लिए ऐसी प्यास अपने भीतर जगा कर देख….

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