प्रभु संकीर्तन 61

हरि शरणम्
अनुशासित जीवन सदैव आदर्श जीवन भी होता है। माता – पिता के द्वारा डाँटा गया पुत्र, गुरु के द्वारा डाँटा गया शिष्य एवं सुनार के द्वारा पीटा गया सोना सदैव आभूषण ही बनते हैं।
पत्थरों का मूर्ति के रुप में तब तक रुपांतरण नहीं हो सकता जब तक कि उन्हें अच्छी तरह से छैनी एवं हथोड़े के प्रहार से न गुजरना पड़े। हजारों प्रहार ही पत्थर को मूर्ति का आकार प्रदान करते हैं। समाज के समक्ष सदैव वही जीवन वंदनीय एवं अनुकरणीय बन सका जिस जीवन ने अपने बडों का सम्मान करना सीखा। अपने से बड़ों के कटु शब्द जीवन में उन नीम के पत्तों के समान ही हैं, जो बेशक कड़वे होंगे मगर स्वास्थ्य के लिए एक औषधि के रूप में ही कार्य करेंगे।
मँत्र में अपार शक्ति है, लेकिन उसको उजागर करना जपने वाले पर निर्भर है-…!!!
शुभ प्रभात राधे राधे जी सभी प्रिय साथियों को आपका प्रत्येक क्षण मंगलमय एवं सुखद हो।आपका आज का दिन कल से उत्तम हो।



Hari Sharanam A disciplined life is always an ideal life as well. Son scolded by parents, disciple scolded by teacher and gold beaten by goldsmith always become ornaments. Stones cannot be transformed into idols unless they are thoroughly hammered and chiselled. Thousands of strokes give the shape of the idol to the stone. Only that life could always become respectable and exemplary in front of the society, the life which learned to respect its elders. Bitter words of elders are like those neem leaves in life, which will undoubtedly be bitter but will act as a medicine for health. There is immense power in the mantra, but it depends on the chanter to reveal it-…!!! Good morning Radhe Radhe ji to all dear friends May every moment of yours be auspicious and pleasant. May your day be better than yesterday.

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