मेरे प्यारे
कई जन्मों का पुण्य जब एकत्रित होकर आता है
जब कहीं जाके जीव श्री ठाकुर जी के दर पहुँच पाता है
दुआएँ हम क्या माँग सकते हैं
हम तो स्वंम ही दुआओं के मोहताज हैं
हम खुद गुलाम है उस मुर्शिद साँवरे के
जो सभी के सरताज है कुछ और दो न दो कृपा की डोर दे देना तुम्हारी हो जिधर चर्चा , हृदय उस ओर दे देना हजारों साल से भटकी हुई हूँ मृत्यु-जीवन में इस जन्म में तो मुक्ति की शुभ भोर दे देना न जाने जन्म से कितने तुम्हारे ध्यान में डूबे झलक कुछ रूप_रस_माधुर्य की चितचोर दे देन न रहना चाहिए पिछला तनिक भी कर्ज प्रभु बाकी लिखा हो भाग्य में जो कष्ट ,सब घनघोर दे देना जो भोला मन तुम्हें भाता रहा है सिर्फ ऐ मेरे सरकार हमें छल से परे चातुर्य का वह छोर दे देना. हर पल तड़पती है ये आँखें तेरा दीदार पाने को बेचैन हो जाती हूँ मैं तुम्हें अपना दुख_दर्द बताने को रख लो करीब इतना कि तुम बिन गुजारा ना हो इस कदर थामों हाथ कि फिर जरूरी किसी का सहारा ना हो* बिहारी जी मुझे गरीब रख मगर अपने करीब रख
, बार-बार आ सकूं तेरे दर ऐसा नसीब रखमेरे प्यारे मेरे जीवन में अपनी रहमत की बौछार बनाये रखना मेरी रूह को अपने प्रेम से सजाये रखना पाती रहूँ तेरा प्रेम हर जन्म में साँवरे मेरी आत्मा को अपनी दरकार बनाये रखना
प्रेम से बोलो श्री राधे राधे