जय श्री राम जी हमें उठते बैठते हुए सोते हुए एक ही ध्यान करना है कि मेरा दिल भगवान का अन्तर्मन से सच्चा चिन्तन मनन करता है या नहीं बार बार अपने अन्तर्मन को टटोलते रहे। हमारे अन्दर मनोकामनाओ का जो पहाड़ बैठा था वह नाम की कुल्हाड़ी से कितना टुटा है जय श्री राम
अनीता गर्ग
Jai Shri Ram ji, while getting up and sleeping, we have to do only one meditation, whether my heart contemplates the true thoughts of God from within or not, keep groping your conscience again and again. The mountain of desires that was sitting in us is broken by the ax named Jai Shri Ram. Anita Garg