कतहुँ नहीं ठाउँ , कहँ जाऊं कोसलनाथ!
दीन बीतहीन हों, बिकल बिनु डेरे।
दास तुलसिहिं बास देहुँ अब करि कृपा,
बसत गज गीध ब्याधआदि जेहि खेर ।।
~ हे ठाकुर मुझे रहने का कोई स्थान नही हैं, आप ही बताइये की मैं कहाँ जाऊं? हे कोशलनाथ ! मैं निर्धन और दीन हुं आश्रय स्थान न होने से व्याकुल हो रखा हूं। इससे हे मेरे रघुवर इस दास को भी उसी घर मे रहने की जगह दीजिए जिसमे गजेंद्र , जटायु , व्याध आदि रहते हैं।
Where should I go, Kosalnath! Be humble, Bikal Binu Dere.
Das Tulsihin Bas Dehun now please do, Basat gaj gidh vyadh etc jehi kher..
~ Oh Thakur, I have no place to stay, tell me where should I go? O Kosalanath! I am poor and oppressed, I am worried about not having a place of shelter. With this, O my Raghuvar, give this slave also a place to live in the same house in which Gajendra, Jatayu, Hunter etc. live.