*अंधे को मंदिर आया देखकर*
*लोग हंसकर बोले की,*
*मंदिर में दर्शन के लिए आये तो हो*
*पर क्या भगवान् को देख पाओगे ?*
*अंधे ने मुस्कुरा के कहा की,*
*क्या फर्क पड़ता है, मेरा भगवान्*
*तो मुझे देख लेगा.*
*द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सही होना चाहिए !!*
* seeing the blind came to the temple * * people laughed and said,*
* If you come for darshan in the temple, *But will you be able to see God?*
* the blind smiled and said,* *What difference does it make, my God* * then he will see me.*
* Approach should be right not vision !!*