हरि ॐ तत्सत जय सच्चिदानंद
जिसे हवा सुखा नहीं सकती, अग्नि जला नहीं सकती
जल गला नहीं सकता, अस्त्र शस्त्र काट नही सकते
न वो घटता,न वो बढ़ता न वो चलता न वो फिरता
न जन्मता,न मरता
वो एक ही रूप में रहता है।
वो ही सत्य परमात्मा है।
वो ही आनंद रूप ज्ञान स्वरूप प्रकाश रूप सत्य चेतन आनंद स्वरूप है।
Hari Om Tatsat Jai Sachchidanand
What air cannot dry, fire cannot burn Water can’t melt, weapons can’t cut It neither decreases, nor does it grow, nor does it move, nor does it move neither born nor die He remains in the same form. That is the true God. He is the form of joy, the form of knowledge, the form of light, the form of true conscious bliss.